मूंग को पीला शिरा मोजैक और पाउडरी मिल्ड्यू से बचाने करें ये उपाय

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भारत में मूंग की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और यह तीनों मौसमों—खरीफ, रबी और जायद में की जा सकती है. इसका उपयोग मुख्यतः दाल के रूप में किया जाता है. मूंग में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, और फसल काटने के बाद शेष पौधों को मिट्टी में दबा देने से हरी खाद भी मिल जाती है. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और किसानों को अच्छा मुनाफा होता है.गर्मियों में मूंग की खेती के दौरान विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि फसल को अधिक पानी और खाद की आवश्यकता नहीं होती. कम लागत में भी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है. हालांकि, इस दौरान मूंग को कुछ प्रमुख रोगों से बचाना आवश्यक होता है, जैसे कि पीला शिरा मोजैक और पाउडरी मिल्ड्यू

मूंग में पीला शिरा वायरस

इस रोग के कारण पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और सूखकर गिर जाती हैं, जिससे फसलों की फलियाँ सही से नहीं बनतीं. इस वायरस का प्रसार सफेद मक्खी से होता है. नियंत्रण के उपायों में बीज बुवाई के 10-15 दिन बाद खेत में पीले स्टिकी ट्रैप लगाना, सफेद मक्खी की उपस्थिति पर नीम तेल का छिड़काव करना और अत्यधिक संक्रमण की स्थिति में कीटनाशक का उपयोग शामिल है.

पाउडरी मिल्ड्यू

यह रोग पत्तियों, कलियों, टहनियों और फूलों पर सफेद पाउडर जैसे धब्बे बनाता है. यह सफेद धब्बे धीरे-धीरे पूरे पत्ते को ढक लेते हैं और प्रभावित पत्तियाँ सख्त होकर मुड़ जाती हैं.

पाउडरी मिल्ड्यू रोग का नियंत्रण:

पाउडरी मिल्ड्यू के लक्षण जैसे ही फसलों पर दिखना शुरू हों, तुरंत अवतार कवकनाशी का 300-400 ग्राम/एकड़ की मात्रा के अनुसार 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. इस रोग का फैलाव तेजी से होता है, इसलिए जल्दी नियंत्रण के लिए ताक़त कवकनाशी का 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.