18,000 करोड़ से 100 एक्स्पोर्ट ओरिएंटेड बागवानी क्लस्टर स्थापित करेगी सरकार: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

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नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि आय को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच वर्षों में 100 एक्स्पोर्ट ओरिएंटेड बागवानी क्लस्टर स्थापित करने के लिए 18,000 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की और कहा कि वह किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सभी राज्य मंत्रियों से मिलेंगे चाहे वे किसी भी पार्टी के हों क्योंकि केंद्रीय योजनाओं को राज्यों के बिना लागू नहीं किया जा सकता है.चौहान ने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों के आयात को कम करने के लिए 6,800 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक तिलहन मिशन शुरू करेगी .

चौहान ने कहा कि किसानों को वोट बैंक नहीं बल्कि इंसान समझा जाना चाहिए और उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे सीधे लाभ की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने किसानों की सहायता के लिए पीएम किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) जैसी योजना कभी नहीं बनाई .“वे (विपक्ष) नहीं समझेंगे लेकिन 6,000 रुपये की राशि छोटे किसानों के लिए मायने रखती है . इस किसान सम्मान निधि के कारण किसान आत्मनिर्भर बने हैं, किसान सशक्त भी हुए हैं और किसानों का सम्मान भी बढ़ा है . उन्हें (विपक्ष को) किसानों का सम्मान नहीं दिखता . ” कृषि मंत्री ने राज्यों में कांग्रेस सरकारों द्वारा किसानों पर गोली चलाने की घटनाओं का हवाला देते हुये कहा .

शिवराज सिंह चौहान ने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि कीटनाशक प्रबंधन कानून में संशोधन किए जाएंगे, जबकि 1,500 से अधिक मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया जाएगा .किसानों की मदद करने और 2047 तक भारत को दुनिया का खाद्यान्न भंडार बनाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल कृषि मिशन के तहत किसानों को आधार की तरह डिजिटल पहचान मिलेगी .

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य जलवायु अनुकूल फसलों की 1,500 नई किस्में विकसित करना है, जो उच्च तापमान को झेल सकें . सरकार फसलों में विविधता लाने के लिए भी काम कर रही है, जिसमें फूलों, फलों और औषधीय पौधों की खेती शामिल है और जलवायु अनुकूल गांवों को विकसित करने, सूक्ष्म सिंचाई का विस्तार करने और पारंपरिक फसल किस्मों को बहाल करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है . उन्होंने कहा कि जैविक खेती पर ध्यान दिया जाएगा, जहां किसान अपनी पूरी जमीन का नहीं, बल्कि उसके एक हिस्से का उपयोग कर सकते हैं .