ऑर्गेनिक खेती के साथ बीज संरक्षण के लिए काम रही हैं महिला किसान पापम्मा

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करीब 40 साल से ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रही कर्नाटक के कोलार की पापम्मा ना सिर्फ खेती में महारत हासिल रखती हैं बल्कि उन्होंने बीज के संरक्षण का भी महत्वाकांक्षी अभियान छेड़ा हुआ है. इसका मतलब यह भी है कि उन्होंने खेती-किसानी को उम्मीद से भरा एक पेशा बना दिया है. पापम्मा ने पूरे गांव को ऑर्गनिक खेती की ट्रेनिंग दी और बिना खाद-कीटनाशक के फसल उगाना सिखा दिया है. खेती बहुत श्रम आधारित कामकाज है. इसके साथ ही इसमें कभी ना खत्म होने वाला मोड़ आता है. आपको हर रोज अपने खेत में जाकर उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है और उतने ही प्यार से पौधों को संभालना होता है.बाजार की अनिश्चितता से लड़ने के लिए पापम्मा ने अपने बीच के कलेक्शन को आम किसानों के लिए पेश किया है. पापम्मा खेती की मदद से सिर्फ अपने लिए फसल नहीं होती बल्कि वह बीज के संरक्षण की दिशा में भी बहुत बड़ा काम कर रही हैं.

तेज धूप या हाड़ कंपाने वाली सर्दी में भी पापम्मा 40 साल से अपने खेतों में जुटी हुई हैं. बेमौसम की बारिश या कड़ाके की धूप से जूझते हुए पापम्मा अपने मिशन में लगातार आगे बढ़ रही हैं. हाल में ही मैसूर में आयोजित कृषि स्वराज सम्मेलन में पापम्मा को सम्मानित किया गया.

लंबी अवधि में खेती करते हुए कई बार किसानों का इससे मोहभंग होने लगता है, लेकिन पापम्मा ने खेती छोड़ कर कभी कोई दूसरा काम करने के बारे में नहीं सोचा. कर्नाटक के कोलार जिले के कुरूबारहल्ली की रहने वाली पापम्मा को बीज संरक्षण के लिए राज्य प्रशस्ति प्रमाण पत्र मिल चुका है. वह एक बेहतरीन किसान तो हैं ही, उन्होंने दशकों की खेती किसानी कर बीज जुटाने की अनोखी क्षमता हासिल कर ली है.

बीज जुटाकर उनसे अपनी जरूरत के लिए फसल उगाना और अगली फसल के लिए फिर से बीज रख लेना, पापम्मा को देश के अन्य किसानों से अलग करता है. अपने आसपास के इलाके में पानी के तालाब को पुनर्जीवित करने की वजह से भी पापम्मा सुर्खियों में है. पापम्मा सॉइल हेल्थ के बारे में भी काफी जानकारी रखती हैं और अपने आसपास के किसानों को मिट्टी की सेहत बनाए रखने के टिप्स देती है.

पापम्मा ने अपने खेतों से अलग-अलग फसल की कम से कम 220 टाइप की बीज को संरक्षित करने का काम किया है. उनके पास फल और सब्जियों की अलग-अलग वैरायटी के काफी बीज हैं. पापम्मा के पास मौजूद बीज का रंग और उसका टेक्सचर देखकर ऐसा लगता है कि इस बीच से होने वाली फसल भी कुछ खास ही होगी.

अब खेत बाजार में बिक रहे बीज बेचने के मामले में कंपनियों की मोनोपोली हो गई है और जिस तरीके से मॉडिफाई कर बीज बेचे जाने लगे हैं, पापम्मा ने अपना यूटोपियन एंटरप्राइजेज शुरू किया है.बाजार की अनिश्चितता से लड़ने के लिए पापम्मा ने अपने बीच के कलेक्शन को आम किसानों के लिए पेश किया है. पापम्मा खेती की मदद से सिर्फ अपने लिए फसल नहीं होती बल्कि वह बीज के संरक्षण की दिशा में भी बहुत बड़ा काम कर रही हैं. पापम्मा को इसके लिए कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से अवार्ड मिल चुका है.