नई दिल्ली : ICAR शिमला ने हाल ही में तीन नई आलू की किस्में लॉन्च की हैं, जो ज्यादा उपज देने वाली हैं. इनकी खेती करने से किसानों की आय बढ़ सकती है. इसलिए इनकी खेती करके किसान अपनी कमाई को अधिक बढ़ा सकते हैं. ये नई किस्में अलग-अलग राज्यों में खेती के लिए सुझाई गई हैं और इनमें अलग-अलग स्वाद, रंग, और आकार हैं, जिससे किसानों को कई लाभ हो सकते हैं.
भारत में आलू की खेती की महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चावल गेहूं और गन्ना के बाद सबसे अधिक क्षेत्रफल में आलू की ही खेती की जाती है. इनका स्वाद रंग और आकार भी अलग-अलग है. आइए जानते हैंं इन किस्मों के बारे में.
कुफरी चिप्सोना-5
कुफरी चिप्सोना आलू की यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा विकसित की गई है. इसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, और राजस्थान में उगाने के लिए सुझाव दिया गया है. यह आलू सफेद रंग का होता है, क्रीम जैसा होता है और अंडाकार आकार का होता है. इसे लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है और चिप्स बनाने के लिए यह बहुत अच्छा माना जाता है. यह आलू 90-100 दिनों में तैयार होता है और एक हेक्टेयर में 35 टन तक उपज देता है. यह पछेती तुषार रोग के खिलाफ अच्छा है.
कुफरी जमुनिया
कुफरी जमुनिया आलू गहरे बैंगनी रंग का होता है. इसका आकार आयताकार होता है और यह 90-100 दिनों में तैयार हो जाता है. यह किस्म ज्यादा उपज देती है, जिससे एक हेक्टेयर में 32-35 टन आलू मिल सकता है. इसे खाने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और इसका भंडारण भी आसान है. इसे बाजार में अच्छी कीमत मिल सकती है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. इस किस्म की खेती हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, और बिहार में की जा सकती है.
कुफरी भास्कर
कुफरी भास्कर आलू की यह किस्म जल्दी तैयार हो जाती है, 85-90 दिनों में. इसकी उपज 30-35 टन प्रति हेक्टेयर होती है. इसका रंग सफेद क्रीम जैसा होता है और इसका आकार अंडाकार होता है. यह किस्म गर्मी को सहन कर सकती है और माइट और हॉपर बर्न के खिलाफ भी सहनशील है. इसे भी लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है.