बिहार में फल-फूल और सब्जियों को मार्केट तक पहुंचाने में देरी होने से किसानों को आर्थिक घाटा उठाना पड़ता है, क्योंकि फल-सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए चौथे कृषि रोडमैप के अंतर्गत बागवानी विकास कार्यक्रम में कोल्ड चेन को मजबूत करने के लिए 28 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस राशि से कोल्ड स्टोरेज को सौर ऊर्जा से चलाने के साथ नई तकनीक से अपग्रेड किया जा सकेगा. इसके साथ ही नए कोल्ड स्टोरेज निर्माण, पहले से चल रहे कोल्ड स्टोरेज को सोलर पैनल दिए जाएंगे. सोलर पैनल कूलिंग चैंबर के तहत सहायता के लिए 12 जिलों को चुना गया है. ऐसा होने से किसानों को कम पैसों में यह सुविधा उपलब्ध हो सकेगी.
यहां बनेंगे नए कोल्ड स्टोरेज
बिहार के 12 जिले जिलों में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है. इसलिए जमुई, मुंगेर, जहानाबाद, लखीसराय, मधुबनी, नवादा, सहरसा, शेखपुरा, अरवल औरंगाबाद, बांका और शिवहर में कोल्ड स्टोरेज का निर्माण होगा. बिहार सरकार किसानों के लिए भंडारण दर में 25 प्रतिशत कमी करने वाले कोल्ड स्टोरेज इकाई को सोलर प्लेट योजना में 50 फीसदी या 17.50 लाख रुपये सब्सिडी देगी. वहीं, राज्य में पहले से चल रहे 50 कोल्ड स्टोरेज को महंगी बिजली से छुटकारा देने के लिए सोलर पैनल के लिए आर्थिक मदद मिलेगी.
राज्य सरकार योजना के तहत बिजली पर निर्भरता को कम करते हुए कोल्ड स्टोरेज में भंडारण खर्च को कम करना चाहती है. इसमें राष्ट्रीय बागवानी मिशन की तर्ज पर अधिकतम 35 लाख रुपये की मदद में 50 फीसदी या अधिकतम 17.50 लाख रुपये सब्सिडी दी जाएगी. इसके लिए कोल्ड स्टोरेज मालिक को शपथ पत्र जमा करना होगा, जिसके बाद वे सब्सिडी राशि का लाभ ले सकेंगे. राष्ट्रीय बागवानी मिशन की तरह सब्सिडी क्रमश: 8 हजार और 10 हजार रुपये प्रति मीट्रिक टन रखी गई है.
दो श्रेणी के कोल्ड स्टोरेज बनेंगे
वहीं, कोल्ड स्टोरेज निर्माण में टाइप-1 कोल्ड स्टोरेज अधिकतम पांच हजार मीट्रिक टन क्षमता के होंगे. वहीं, टाइप-2 अधिकतम 2000 मीट्रिक टन क्षमता के होंगे. इन जिलों में कोल्ड स्टोरेज बनवाने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. हर जिले में इच्छुक लोगों की मांग के अनुरूप टाइप-1 या टाइप-2 कोल्ड स्टोरेज की उपलब्धता के आधार पर मंजूरी दी जाएगी। योजना का लाभ पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मिलेगा, जिसके लिए डीबीटी पोर्टल पर रजिस्टर्ड इच्छुक किसानों, किसान समूहों, उद्यमियों, एफपीओ, एफपीसी को ऑनलाइन आवेदन करना होगा.
बता दें कि टाइप-1 कोल्ड स्टोरेज का इस्तेमाल सामान्य तौर पर एक ही वस्तु को रखने के लिए किया जाता है. यह मौसम के आधार पर चलाया जाता है. दूसरी ओर, टाइप-2 कोल्ड स्टोरेज का पूरे साल इस्तेमाल किया जाता है. इसे कई सारी चीजों और उत्पादों को एक स्टोर करने के हिसाब से डिजाइन किया जाता है. इसका इस्तेमाल खास मापदंडों को मानते हुए विभिन्न उत्पादों को स्टोर करने लिए किया जाता है. सरकार ने योजना में 6 टाइप-1 और 6 टाइप-2 नए कोल्ड स्टोरेज बनवाने का लक्ष्य तय किया है.