आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के किसान धान की बजाय भिंडी की खेती पर जोर दे रहे है. हर किसान चाहता है कि उसे खेती में लागत से कई गुना अधिक मुनाफा मिले. इसी सोच के साथ भिंडी की खेती कर यहां के किसान लागत से चार गुना तक मुनाफा कमा रहे है. भिंडी सभी मौसमों के लिए अनुकूल एक आदर्श फसल मानी जाती है. यह विशेष रूप से गर्म जलवायु में अच्छी तरह से पनपती है.
धान छोड़कर भिंडी उगा रहे किसान
न्यूज 18 की रिपाेर्ट के मुताबिक, पश्चिमी गोदावरी जिले के किसान गर्मियों के दौरान इसे उगाना पसंद करते हैं, क्योंकि अन्य मौसमों में जब कम पैदावार के कारण फसल का क्षेत्रफल कम हो जाता है तो बाजार भाव आमतौर पर बढ़ जाता है. यह फसल काली, दोमट मिट्टी, लाल मिट्टी और अन्य अच्छी तरह से सूखी उपजाऊ मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है. पश्चिमी गोदावरी में बारिश के मौसम में स्थानीय किसान चावल की खेती के प्रचलन के बावजूद धान के मुकाबले भिंडी की खेती पर फोकस करते हैं.
ऐसे करें भिंडी की खेती
भिंडी की बुआई के लिए मिट्टी को 2 से 3 बार जोतना चाहिए. इसके अलावा, आखिरी जुताई से पहले 8-10 टन मवेशी खाद डालना चाहिए. भिंडी दो अलग-अलग तरीकों से उगाई जा सकती है: पहली सलुला विधि और दूसरी बोडेला विधि, दूसरी विधि ड्रिप सिंचाई के लिए उपयुक्त है. इलाके के किसान खरपतवार को नियंत्रित करने और पानी बचाने के लिए इस विधि से मल्चिंग कवर का भी उपयोग करते हैं.
बाजार में भिंडी की मांग वर्षभर बनी रहती है. यह खासकर यहां के लोकल सब्जी किसानों के लिए लाभदायक है, क्योंकि यह कम पानी की जरूरत वाले शुष्क मौसम में लचीली और फायदेमंद फसल साबित होती है. भिंडी की खेती के लिए शुरू में 25,000 रुपये से 30,000 रुपये के निवेश की जरूरत होती है, जिसमें बाजार की स्थितियों के आधार पर लाभ अलग-अलग होता है. इतनी लागत में इसमें एक लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. इस कारण से जिले के किसानों के लिए भिंडी एक मूल्यवान फसल बन चुकी है.
लाल भिंंडी में और ज्यादा मुनाफा
देहात के एक 69 वर्षीय किसान आदित्य त्यागी ने लाल भिंडी की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें जब पता चला कि काशी कृषि संस्थान ने ‘काशी लालिमा’ नामक भिंडी की वैरायटी विकसित की है तो उन्होंने सीधे संस्थान से संपर्क किया और वहां से बीज मंगवाए. इसके बाद उन्होंने फरवरी में इसकी खेती शुरू कर दी और कुछ समय बाद अच्छी फसल हुई. किसान आदित्य त्यागी ने बताया कि जब वह लाल भिंडी बाजार बेचने गए तो पता चला कि हरी भिंडी के मुकाबले यह अधिक मुनाफा देने वाली है. वहीं, इसके बाद लाल भिंडी की मांग तेजी से बढ़ गई है.
आदित्य त्यागी कहते हैं, “अगर खेती सही तरीके से की जाए तो लाखों रुपए महीने की कमाई की जा सकती है. हरी भिंडी के मुकाबले लाल भिंडी की खेती में मुनाफा दोगुना है. इसकी कीमत भी हरी भिंडी के मुकाबले काफी ज्यादा है. यही वजह है कि यह आम लोगों की रसोई तक नहीं पहुंच पाई है.”