गाय के गोबर से जालौन की महिलाएं बना रहीं राखी समेत 200 प्रोडक्ट

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 यूपी का जालौन जिला महिला सशक्तिकरण का मिसाल बन रहा है. यहां पर महिलाएं घर की दहलीज से लांघने में कोई संकोच नहीं कर रही हैं और घर परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ-साथ यहां पर महिलाएं रोजगार के माध्यम से भी जुड़ी हैं. जालौन में कुछ महिलाएं गाय के गोबर  से खूबसूरत राखियां बना रही हैं. ये महिलाएं गाय के गोबर से  राखियां, राम मंदिर के मॉडल के अलावा 200 तरह के अलग-अलग उत्पाद बना रही हैं. इससे इन महिलाएं की सालाना आमदनी 20- 25 लाख रुपये हो रही है, ये महिलाएं खुद तो आत्मनिर्भर बन ही रही हैं साथ ही दूसरी महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे रही हैं. बातचीत में संस्था की अध्यक्ष विनीता पांडेय ने बताया कि जालौन के उरई के चमारी गांव में स्मृति चिन्ह, राखियां, राम मंदिर का मॉडल समेत 200 इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट हम लोग गोबर से बना रहे हैं.

इससे प्रोडक्ट को सेल करके हम लोग सारा खर्चा निकालने के बाद सालाना 20-25 लाख रुपये की कमाई कर रहे है. उन्होंने बताया कि गोबर और गोमूत्र को हम लोग गोशाला से खरीदकर लाते है. वहीं  निराश्रित गोवंश के संरक्षण एवं उनके भरण -पोषण के लिए मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत हम लोग गाय पालते है.

गोबर से तैयार किया अयोध्या राम मंदिर का मॉडल
गोबर से तैयार किया अयोध्या राम मंदिर का मॉडल

उसके एवज में सरकार गौ-वंश का संरक्षण करने वाले व्यक्ति को 50 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से उपलब्ध कराएगी यानी कि महीने में एक पशु पर 1500 रुपए की आर्थिक सहायता मिल जाती है. जबकि गाय के गोबर का इस्तेमाल करके प्रोडक्ट बनाते हैं. 

महिलाएं 2013 से बना रहीं गोबर के उत्पाद

जालौन के उरई के चमारी गांव की रहने वाली विनीता बताती हैं कि 5 रुपये लीटर हम गोमूत्र और गोबर 20 रुपये प्रति किलो के रेट से खरीदते है. उन्होंने बताया कि 2013 में हमारी संस्था स्वदेशी की तरफ रुख करते हुए गोबर से अलग-अलग उत्पाद बना रही हैं. हम लोगों के द्वारा तैयार इको-फ्रैंडली प्रोडक्ट की कीमत बहुत कम रखा है. जैसे राखी 5 रुपये प्रति पीस, मेमेंटोस 200 से लेकर 2000 रुपये तक है.

गाय के गोबर से 200 से अधिक तरह के उत्पाद
गाय के गोबर से 200 से अधिक तरह के उत्पाद

उन्होंने बताया कि सारे प्रोडक्ट की बिक्री ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन में लोकल मार्केट में होती है. लेबर कास्ट समेत सारा खर्चा निकालने के बाद एक साल में 20-25 लाख रुपये की बचत हो जाती है. 

ग्रामीण इलाकों में आमदनी का जरिया बना गोबर

यही वजह है कि आज देसी गाय पालन को प्रमोट किया जा रहा है. यह ग्रामीण इलाकों में आमदनी का अहम जरिया बन गया है. पहले सिर्फ गाय के दूध से कमाई होती थी, लेकिन जब से इको-फ्रैंडली का नारा बुंलद हुआ है, तब ही से गाय के गोबर से लेकर गौमूत्र से तमाम उत्पाद बनाए जा रहे हैं. योगी सरकार भी किसानों को गाय उपलब्ध करवा रही हैं और अनुदान भी  दे रही हैं, ताकि गाय पालन के प्रमोट करते हुए प्राकृतिक खेती और इससे उपजे पौष्टिक उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सके.