देश में कृषि के साथ-साथ पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि देश के किसानों की आय को बढ़ाई जा सके और पशुपालन के जरिए रोजगार के नए अवसर दिए जा सकें. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग, किसानों को स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के प्रभावी विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. भारत में पशुपालन का लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है. देश के पास गाय और भैंसों की कई ऐसे देशी नस्लें हैं जो अधिक और बेहतर क्वालिटी की दूध देती है. इस तरह से यह नस्लें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखती हैं.
देश में स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए दिसंबर 2014 में “राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक तरीके से देशी गोजातीय नस्लों का संरक्षण और विकास करना है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत, वर्ष 2021 से यह विभाग दूध उत्पादक किसानों, डेयरी सहकारी समितियों,एमपीसी,एफपीओ और कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (एआईटी) को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर साल राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान कर रहा है. इस वर्ष भी राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं. इस पुरस्कार के लिए गाय की 53 और भैंस की 20 देशी नस्लें शामिल हैं.
ये हैं गाय की नस्लें
अमृतमहल (कर्नाटक), बछौर (बिहार), बरगुर (तमिलनाडु),डांगी (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश),देवनी (महाराष्ट्र और कर्नाटक), गाओलाओ (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश), गिर (गुजरात), हल्लिकर (कर्नाटक), हरियाणा (हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान), कंगायम (तमिलनाडु), कांकरेज (गुजरात और राजस्थान), केनकाथा (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश), खेरीगढ़ (उत्तर प्रदेश), खिल्लर (महाराष्ट्र और कर्नाटक), कृष्णा घाटी (कर्नाटक), मालवी (मध्य प्रदेश), मेवाती (राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश), नागौरी (राजस्थान), निमारी (मध्य प्रदेश), ओंगोल (आंध्र प्रदेश), पोंवार (उत्तर प्रदेश), पुंगनूर (आंध्र प्रदेश), राठी (राजस्थान), लाल कंधारी (महाराष्ट्र), लाल सिंधी, सहिवाल (पंजाब और राजस्थान), महोदय मैं (सिक्किम और पश्चिम बंगाल), थारपाकर (राजस्थान), अम्बलाचेरी (तमिलनाडु), वेचुर (केरल), मोटू (उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश), घुमुसरी (उड़ीसा), बिंझारपुरी (उड़ीसा), खारियर (उड़ीसा), पुलिकुलम (तमिलनाडु), कोसली (छत्तीसगढ), मलनाड गिद्दा (कर्नाटक), बेलाही (हरियाणा और चंडीगढ़), गंगातिरी (उत्तर प्रदेश और बिहार), बद्री (उत्तराखंड), लखिमी (असम), लद्दाखी (जम्मू और कश्मीर), कोंकण कपिला (महाराष्ट्र और गोवा), पोडाथुरपु (तेलंगाना), नारी (राजस्थान और गुजरात), दगरी (गुजरात), थुथो (नागालैंड), श्वेता कपिला (गोवा), हिमाचली पहाड़ी (हिमाचल प्रदेश), पूर्णिया (बिहार), कथानी (महाराष्ट्र), संचोरी (राजस्थान), मसिलम (मेघालय).
भैंस की किस्में
भदावारी (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश), जाफराबादी (गुजरात), मराठवाडी (महाराष्ट्र), मेहसाणा (गुजरात), मुर्राह (हरियाणा), नागपुरी (महाराष्ट्र), नीली रवि (पंजाब), पंढरपुरी (महाराष्ट्र), सुरती (गुजरात), टोडा (तमिलनाडु), बन्नी (गुजरात), चिलका (उड़ीसा), कालाहांडी (ओडिशा), लुइट (दलदल) (असम और मणिपुर), बरगुर (तमिलनाडु), छत्तीसगढ़ी (छत्तीसगढ), गोजरी (पंजाब और हिमाचल प्रदेश), धारवाड़ी (कर्नाटक), मंदा (ओडिशा), पूर्णाथडी (महाराष्ट्र).
यहां करें आवेदन
वर्ष 2024 के दौरान राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए नामांकन राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल यानी https://awards.gov.in के माध्यम से जमा किए जा रहे हैं. नामांकन करने की अंतिम तिथि 31.08.2024 होगी. ये पुरस्कार राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर, 2024) के अवसर पर प्रदान किए जाएंगे. पात्रता और ऑनलाइन आवेदन करने से संबंधित दिशा-निर्देशों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, वेबसाइट https://awards.gov.in या https://dahd.nic.in पर जाकर जानकारी हासिल कर सकते हैं