पैकेटबंद मसालों में कैंसर वाला केम‍िकल…आख‍िर जांच र‍िपोर्ट में क्या म‍िला? 

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कैंसर पैदा करने वाले केमिकल एथिलीन ऑक्साइड यानी ईटीओ की मौजूदगी की वजह से अब उन मसालों पर दुन‍िया के कई देशों में सवाल उठने शुरू हो गए हैं, ज‍िनका इस्तेमाल करके लोग खाने का स्वाद‍िष्ट बढ़ाते रहे हैं. अब यह मुद्दा भारतीय संसद में भी उठाया गया है, ताक‍ि इस पर तस्वीर साफ हो. क्योंक‍ि मसालों का इस्तेमाल हर घर में हो रहा है.डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) सांसद डॉ. टी. सुमति उर्फ थमिझाची थंगापांडियन ने लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से इस बारे में स्थ‍ित‍ि साफ करने का आग्रह क‍िया. उन्होंने उन देशों का ब्यौरा मांगा जिन्होंने कैंसर का कारण बनने वाले एमडीएच और एवरेस्ट जैसे पैकेज्ड मसालों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है.भारतीय मसालों पर व‍िदेशों में उठ रहे सवालों के बीच भारत सरकार ने कहा क‍ि मेसर्स महाशियां दी हट्टी प्राइवेट लिमिटेड (एमडीएच) और मेसर्स एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एवरेस्ट) द्वारा निर्यातित मसाला उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) की मीडिया रिपोर्ट के बाद दोनों कंपन‍ियों से सैंपल ल‍िए गए थे. 

साथ ही पूछा क‍ि इन मसालों का जांच करने के लिए सरकार ने क्या कोई कदम उठाया है. उन्होंने एक ल‍िख‍ित सवाल में पूछा क‍ि इन मसालों के कारण हुए कैंसर से जुड़ी किन्हीं मौतों की सूचना सरकार के पास है क्या? यद‍ि ऐसा है तो सरकार द्वारा इन मसाला कंपनियों के ख‍िलाफ क्या एक्शन ल‍िया गया है. सांसद के इन सवालों पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने जवाब द‍िया है. सरकार ने जवाब में पैकेटबंद मसाला का कारोबार करने वाली कंपन‍ियों को क्लीन चिट दे दी है. 

नेपाल ने ल‍िया एक्शन 

पटेल ने कहा है क‍ि वाणिज्य विभाग ने बताया कि उनके पास कैंसर कारक पैकेज्ड मसालों के बैन के बारे में ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांक‍ि, मई, 2024 में नेपाल सरकार ने मीडिया में आई खबरों और एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) के निर्धारित स्तर से अधिक मात्रा की रिपोर्ट के आधार पर आयातकों को दो ब्रांडों के मसाला के चार लॉट के आयात, बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी थी. साथ ही इन वस्तुओं को बाजार से वापस मंगाने की सलाह भी दी थी. 

भारत ने क्या क‍िया 

इसके बाद भारतीय मसाला बोर्ड ने नेपाल में भारतीय मिशन के साथ इस मामले को उठाया. नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी एवं गुणवत्ता विभाग (डीएफटीक्यूसी) को केंद्र सरकार ने मसाला बोर्ड के हवाले से बताया क‍ि निर्यात किए जा रहे मसालों की अनिवार्य जांच की जा रही है. निर्यातकों द्वारा खरीदे गए कच्चे माल के साथ-साथ उनके द्वारा निर्यात के लिए तैयार माल में ईटीओ की निगरानी के लिए दिशानिर्देश जारी क‍िए गए हैं. ताकि आयात करने वाले देशों की अलग-अलग ईटीओ सीमाओं को पूरा किया जा सके.

जांच में नहीं म‍िला ईटीओ 

केंद्रीय मंत्री अनुप्र‍िया पटेल ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के हवाले से लोकसभा में बताया क‍ि मेसर्स महाशियां दी हट्टी प्राइवेट लिमिटेड (एमडीएच) और मेसर्स एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एवरेस्ट) द्वारा निर्यातित मसाला उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) की मीडिया रिपोर्ट आई थी. इसके बाद एफएसएसएआई ने एमडीएच और एवरेस्ट की मसाला प्रोडक्शन यून‍िटों का निरीक्षण किया. सैंपल एकत्र क‍िए. एमडीएच के 25 और एवरेस्ट के 9 सैंपल ल‍िए गए. इन 34 सैंपल में ईटीओ के कोई अंश नहीं पाए गए. 

यूरोपीय यून‍ियन सख्त 

हालांक‍ि, अप्रैल महीने में सिंगापुर और हांगकांग ने दो भारतीय मसाला ब्रांड के चार प्रोडक्ट को बैन कर दिया था. इसकी वजह उन्होंने कैंसर पैदा करने वाले केमिकल एथिलीन ऑक्साइड यानी ईटीओ (Ethylene Oxide) की मौजूदगी को बताया था. हालांक‍ि यह पहली बार नहीं है क‍ि दूसरे देश भारतीय कृष‍ि उत्पादों पर सवाल उठा रहे हैं. यूरोपीय यून‍ियन भारत के बासमती चावल में कीटनाशकों का मुद्दा पहले से ही उठाता रहा है. इसका भारत को नुकसान उठाना पड़ा है. यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (EFSA) द्वारा भारतीय उत्पादों में नियमित रूप से ईटीओ का पता लगाया जाता है. 

चौंकाने वाली है र‍िपोर्ट 

डेक्कन हेराल्ड की ए‍क र‍िपोर्ट के अनुसार सितंबर 2020 और अप्रैल 2024 के बीच यूरोपीय यून‍ियन ने 527 भारतीय वस्तुओं को कंटेमिनेटेड पाया. आरोप है क‍ि इन खाद्य सामानों में कैंसर पैदा करने वाले केम‍िकल पाए गए. इनमें से 54 पर ‘ऑर्गेन‍िक’ का लेबल दिया गया था. इसके बाद उन पर रोक लगाई गई. ज‍िनमें अधिकांश मेवे, तिल, जड़ी-बूटी, मसाले, डायबेटिक लोगों के खाद्य पदार्थ शाम‍िल हैं. इन सामानों के 87 कंशाइनमेंट को देश के बार्डर पर ही रोक दिया गया था, जबकि बाकी को बाद में बाजारों से हटा दिया गया था. 

क्या करेंगे आप? 

दरअसल, एथिलीन ऑक्साइड, एक रंगहीन गैस है, ज‍िसका इस्तेमाल कीटनाशक और स्टरलाइज‍िंग एजेंट के रूप में किया जाता है. हालांक‍ि, भारतीय उद्योग जगत ने ईटीओ के बारे में गलत धारणाओं को लेकर अपनी स्थ‍िति स्पष्ट की थी, ज‍िसमें कहा गया था क‍ि ईटीओ एक कीटनाशक नहीं है, बल्कि, एक स्टरलाइज‍िंग एजेंट है, जो माइक्रोबियल संदूषण को रोकने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण है. 

बहरहाल, नेपाल जैसे गरीब मुल्क ने भी अपने उपभोक्ता ह‍ितों के ल‍िए बड़ी सतर्कता बरती, लेक‍िन भारत सरकार ने इससे जुड़े तमाम आरोपों को सदन में खार‍िज कर द‍िया है. अब आपको तय करना है क‍ि पैकेटबंद मसालों का इस्तेमाल करेंगे या सबूत मसालों के जर‍िए खाने का स्वाद बढ़ाएंगे या फ‍िर मसाला खाना ही छोड़ देंगे.

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया कहता है कि कभी भी खुले मसालों को नहीं खरीदना चाहिए। इनमें हानिकारक मिलावट हो सकती है और हमेशा डिब्बाबंद व प्रतिष्ठित ब्रांड के मसाले इस्तेमाल करें। लेकिन भारत के ही दो बड़े ब्रांड के 4 मसाले हॉन्ग कॉन्ग में फेल हो चुके हैं। हॉन्ग कॉन्ग की फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने इनके अंदर कैंसर पैदा करने वाला तत्व ज्यादा मात्रा में पाया है। हॉन्ग कॉन्ग के साथ सिंगापुर में ये बैन हो चुके हैं।

यह रिपोर्ट हॉन्ग कॉन्ग के फूड एंड एनवायरमेंटल हाइजीन डिपार्टमेंट के सेंटर फॉर फूड सेफ्टी (CFS) ने 5 अप्रैल को जारी की। MDH और Everest ब्रांड के मिलाकर 4 मसालों में कैंसर करने वाले पेस्टीसाइड एथिलीन ऑक्साइड ज्यादा मिला। टेस्टिंग में MDH के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिक्स्ड मसाला पाउडर, करी पाउडर मिक्स्ड मसाला पाउडर और Everest के फिश करी मसाला के सैंपल फेल हुए।

हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर में बैन होने के बाद भारत में भी FSSAI ने इन मसालों के सैंपल टेस्टिंग के लिए उठा लिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल ने भी यह कदम उठाया है। हालांकि हॉन्ग कॉन्ग फूड अथॉरिटी की इस रिपोर्ट के ऊपर दोनों में से किसी भी ब्रांड ने कोई बयान नहीं दिया है।