एग्रीकल्चर में मास्टर्स डिग्री बनाएगी साइंटिस्ट और प्रोफेसर

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केंद्र समेत राज्य सरकारें कृषि के विकास पर खास ध्यान दे रही हैं. क्रॉप प्रोडक्शन से लेकर टेक्नोलॉजी और नई वैराइटी के रिसर्च पर फोकस किया जा रहा है. कृषि क्षेत्र में बढ़ते निवेश के चलते बेहतर करियर की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं. एग्रीकल्चर में मास्टर्स डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को प्रोफेसर या साइंटिस्ट बनने का मौका रहता है. जबकि, सरकारी और निजी क्षेत्र में ऊंचे पदों और अच्छे पैकेज पर नौकरी के अवसर भी खूब रहते हैं. अगर आप एग्रीकल्चर में मास्टर्स करने का विचार कर रहे हैं तो अभी भी देर नहीं हुई है, क्योंकि कुछ यूनिवर्सिटी में अगस्त तक एडमिशन खुले हुए हैं. 

कृषि क्षेत्र में करियर बनाने के अच्छे विकल्प मौजूद होने के चलते युवाओं का रुझान इस ओर बढ़ा है. कृषि उत्पादों के निर्यात में बढ़ोत्तरी और इस क्षेत्र में निवेश बढ़ने से कई निजी क्षेत्र की कंपनियां आ रही हैं. सरकार के कृषि पर फोकस को देखते हुए तेजी से तकनीक का इस्तेमाल भी कृषि उपज को बढ़ाने और फसलों के नुकसान को घटाने के लिए किया जा रहा है. इसीलिए एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए निजी और सरकारी संस्थान सीटों को बढ़ा रहे हैं. कुछ यूनिवर्सिटी ने जुलाई सत्र के लिए एग्रीकल्चर में एडमिशन की तारीखों को भी आगे बढ़ाकर अगस्त तक कर दिया है. 

एडमिशन पाने की लास्ट डेट नजदीक

रांची स्थित झारखंड राय यूनिवर्सिटी ने युवाओं को एग्रीकल्चर में एडमिशन का मौका देते हुए अंतिम तिथि को बढ़ाया है. जेआरयू यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के डीन डॉक्टर आरपी सिंह रतन ने बताया कि एग्रीकल्चर में बैचलर और मास्टर्स में जुलाई सत्र के लिए प्रवेश की तिथि 14 अगस्त 2024 है. इच्छुक छात्र अभी भी प्रवेश ले सकते हैं. बैचलर इन एग्रीकल्चर हॉनर्स में एडमिशन के लिए सीधे प्रवेश दिए जा रहे हैं.

एग्रीकल्चर से मास्टर्स करने के दो विकल्प 

डीन डॉक्टर आरपी सिंह रतन ने बताया कि एग्रीकल्चर में मास्टर्स डिग्री के लिए दो डिसिप्लिन में एडमिशन दिया जा रहा है. पहला मास्टर्स इन एग्रोनॉमी और दूसरा मास्टर्स इन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन. उन्होंने बताया कि मास्टर्स डिग्री के यह दोनों कोर्स 2 साल की अवधि के हैं. उन्होंने कहा कि मेरिट सीट मिलाकर लगभग 30 सीट के लिए छात्र प्रवेश ले सकते हैं. इन कोर्स को करने के बाद छात्र आगे की पढ़ाई जैसे पीएचडी कर सकते हैं या रिसर्च कर सकते हैं. मास्टर्स की पढ़ाई के बाद छात्रों को टीचिंग के क्षेत्र में प्रोफेसर या रिसर्च के क्षेत्र साइंटिस्ट बनने का रास्ता साफ हो जाता है. 

  • मास्टर्स इन एग्रोनॉमी कोर्स के जरिए फसल उत्पादन के बारे में पढ़ाया जाता है. फसल को कीटों और रोगों से बचाने के साथ ही अन्य विषयों की जानकारी दी जाती है. 
  • मास्टर्स इन एग्री एक्सटेंशन कोर्स के तहत कृषि क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल और इनोवेशन अप्लाई करने समेत अन्य विषयों की जानकारी दी जाती है. 
  • कोर्स, फीस और प्रवेश की लास्ट डेट  
  1. संस्था का नाम – झारखंड राय यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चर विभाग 
  2. कोर्स का नाम – मास्टर्स ऑफ साइंस इन एग्रीकल्चर एग्रोनॉमी (MSc (Ag) Agronomy) 
  3. कोर्स की अवधि- यह कोर्स 2 साल की अवधि का है और इसमें 4 सेमेसटर होंगे.
  4. प्रवेश योग्यता – बीएससी एग्रीकल्चर या समकक्ष डिग्री.
  5. खाली सीट – लगभग 30 सीट पर छात्र प्रवेश ले सकते हैं.
  6. कोर्स की फीस – 40,000 रुपये प्रति सेमेस्टर. 
  7. प्रवेश के लिए अंतिम तिथि- कोर्स में प्रवेश लेने की अंतिम तिथि  14 अगस्त 2024 है.
  8. नौकरी के अवसर 

झारखंड राय यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ एडमिशन सब्यसाची चक्रवर्ती ने बताया कि एग्रीकल्चर की पढ़ाई के बाद युवाओं के पास रोजगार के अच्छे अवसर होते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि सेक्टर में काम करने वाली बीज कंपनियों, मिट्टी के लिए काम करने वाली फर्म, एनजीओ में नौकरी हासिल की जा सकती है. सरकारी विभाग में छात्र जूनियर साइंटिस्ट बनते हैं. बैंक में स्पेशलिस्ट ऑफिसर, किसान क्रेडिट कार्ड सेक्शन में क्रेडिट ऑफिसर की नौकरी भी पा सकते हैं. एग्री इंटरप्रेन्योर अपने आप में बहुत बड़ा सेक्टर बन गया है, एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने वाले छात्र इस क्षेत्र में खुद का बिजनेस भी खड़ा सकते हैं. 

सरकारी नौकरी 

एग्रीकल्चर की पढ़ाई के बाद प्रदेश स्तर पर राज्य सरकार के उद्यानिकी, खाद्य संस्करण विभाग, गन्ना विभाग, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग, मंडी विभागों में सरकारी नौकरी हासिल की जा सकती है. इसके अलावा वन विभाग, मत्स्य विभाग और खाद्य विभाग में भी अधिकारी बना जा सकता है. एग्रीकल्चर की पढ़ाई के जरिए युवा खाद्य सुरक्षा अधिकारी, पादप सुरक्षा अधिकारी भी बन सकते हैं. खास बात ये है कि इन पदों पर भर्ती के लिए सिर्फ एग्रीकल्चर से ग्रेजुएट युवाओं से ही आवेदन लिए जाते हैं.