भुगतान में देरी पर बीमा कंपनी को देना होगा 12% जुर्माना: शिवराज सिंह चौहान

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केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में कई कठिनाइयां थीं, जिन्हें नई योजना ने दूर कर दिया है। अब किसानों को उनकी उपज का उचित मुआवजा मिल रहा है और बीमा कंपनियों को क्लेम देने में देरी पर 12% पेनल्टी भरनी पड़ेगी।

श्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने किसानों का भरोसा जीता है। पहले जहां 3.51 करोड़ आवेदन आते थे, अब 8.69 करोड़ आवेदन आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी योजनाओं में उच्च प्रीमियम और क्लेम निपटान में देरी जैसी समस्याएं थीं, जिन्हें नई योजना ने प्रभावी ढंग से हल किया है। उन्होंने बताया की कैसे पहले की सरकारों में अऋणी किसानों के केवल 20 लाख आवेदन आते थे, अब 5.48 करोड़ आए हैं। पहले कुल किसान आवेदन 3.71 करोड़ थे, जो अब 14.17 करोड़ हैं। किसानों ने 32,440 करोड़ रु. प्रीमियम दिया जबकि उन्हें 1.64 लाख करोड़ रु. क्लेम दिया गया।  

योजना में बड़े सुधार

श्री चौहान ने यह भी बताया कि फसल नुकसान का आंकलन अब नज़री नहीं, बल्कि रिमोट सेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा। यह प्रक्रिया 30 प्रतिशत तक अनिवार्य कर दी गई है, जिससे नुकसान का सटीक आंकलन हो सके।

यदि बीमा कंपनियां क्लेम देने में देरी करती हैं तो उन्हें 12% पेनल्टी भरनी होगी, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी। श्री चौहान ने राज्यों से अपील की कि वे प्रीमियम सब्सिडी में अपने हिस्से को देरी से जारी न करें, ताकि किसानों को समय पर मुआवजा मिल सके। मंत्री श्री चौहान ने फसल बिमा क्लेम में देरी के कारणों पर कहा की, अगर देरी के कारणों पर गौर करें तो सबसे बड़ा कारण यह है कि ज्यादातर राज्य प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा जारी करने में देरी करते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा सभी राज्य सरकारों से अनुरोध है कि वे अपना हिस्सा जारी करने में देरी न करें। कई बार उपज के आंकड़े देरी से मिलते हैं। कुछ मामलों में बीमा कंपनी और राज्यों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। पहले व्यवस्था थी कि जब राज्य सरकार अपनी राशि जारी करेगी, तभी केंद्र सरकार अपना हिस्सा देगी, लेकिन केंद्र सरकार ने अब एक प्रावधान कर दिया है और राज्य सरकार के हिस्से से खुद को अलग कर लिया है, इसलिए अब केंद्र तुरंत अपना हिस्सा जारी करेगा, ताकि किसान को भुगतान में देरी न हो। कम से कम किसान को केंद्र की राशि समय पर मिल जाए।

श्री चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार ने अब राज्य सरकारों के शेयर को डी-लिंक कर दिया है, जिससे अब केंद्र अपना हिस्सा तत्काल जारी कर सकेगी। इससे किसानों को समय पर मुआवजा मिल सकेगा।

किसान की मर्जी से बीमा

नई योजना के तहत बीमा अनिवार्य नहीं है। अब किसान अपनी मर्जी से बीमा करवा सकते हैं। यह बदलाव किसानों के लिए एक बड़ी राहत है। उन्होंने बताया कि अब तक 5 लाख 1 हजार हेक्टेयर भूमि को कवर किया गया है, जो 2023 में बढ़कर 5.98 लाख हेक्टेयर हो गया है, वहीं 3.97 करोड़ किसान कवर हुए हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा के 3 अलग-अलग मॉडल हैं और उस मॉडल में केंद्र सरकार केवल पॉलिसी बनाती है। राज्य सरकार जिस मॉडल को चुनना चाहे, उस मॉडल को चुनती है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हर राज्य के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसे लागू करना राज्य सरकारों पर निर्भर है। बिहार में अभी तक इस योजना को लागू नहीं किया गया है, क्योंकि वहां की सरकार अपनी योजना के तहत किसानों को लाभान्वित कर रही है।