साजिशन बन्द किया गया है पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना

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पिछले 70 सालों में पीपल, बरगद,पकड़ी और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया हैपीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75 %

अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है।आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है

ये तीनों पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजार्बर है, बरगद 80% और नीम 75% अब सरकार ने इन पेड़ों से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन कर देता है इस यूकेलिप्टस के पेड़ को लगाना राजीव गांधी के जमाने में चालू किया। आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है। अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नहीं रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ उड़ जायेगा। हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त हिन्दुस्थान होगा। वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए। पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं। अनेक पिछड़े इलाकों में अनेक पिछड़े इलाकों में तो पीपल बरगद आधी पेड़ों को लगाने को लेकर अनाप-शनाप भ्रांतियां भी फैलाई जाती हैं यह काम ज्यादातर असाई और म्लेच्छों का होता है जबकि भारतीय संस्कृति में आम पापड़ पीपल तुलसी केला बरगद आक ढाक जैसे पेड़ों को लगाना धन वैभव स्वास्थ्य और संतान सुख का कारण माना जाता है वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए-

मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमस्तुते।

अब करने योग्य कार्य हम सभी इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगायें तथा यूकेलिप्टस से परहेज के लिए कोशिश करेंगे सरकार को भी वन संवर्धन अभियान को तेज करने और नीम पंया बड़ पीपल आम व केला व तुलसी जैसे पूजनीय और वायु शोधक पेड़ों को लगाने का अभियान तेज करने के लिए बाध्य किया जाय।आइये हम सब मिलकर अपने “भारत” को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएँ।


अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही

हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त भारत होगा।वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए, पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं। पीपल को वृक्षों का राजा कहते है।

अब करने योग्य कार्य

इन जीवनदायी पेड़ों(पीपल/नीम/बरगद आदि) को ज्यादा से ज्यादा लगायें तथा यूकेलिप्टस आदि सजावटी पेड़ों को न लगाएं व सरकार द्वारा भी इन पर प्रतिबंध लगाया जाये।

आइये हम सब मिलकर अपने “भारत” को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएँ.

प्रकृति के त्रिदेव: पीपल, बरगद और नीम का पुनर्जागरण

यह सत्य है कि पिछले 68 सालों में भारत में सरकारी स्तर पर पीपल, बरगद और नीम के पेड़ों को लगाना बंद कर दिया गया है। यह न केवल हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य और जलवायु के लिए भी। पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% अवशोषक है, बरगद 80% और नीम 75%। इसके बावजूद, हमने इनकी जगह विदेशी यूकेलिप्टस के पेड़ लगाने शुरू कर दिए हैं, जो जमीन को जलविहीन कर देते हैं। आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ों ने ले ली है।

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वृक्षों का महत्व: पुरातन साँच से आधुनिक समाधान

आपको यह अजीब बकवास लग सकता है, लेकिन यह सत्य है कि पिछले 68 सालों में सरकारी स्तर पर पीपल, बरगद और नीम के पेड़ों को लगाना बंद कर दिया गया है। यह न केवल हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य और जलवायु के लिए भी। पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजॉर्बर है, बरगद 80% और नीम 75%। इसके बावजूद, हमने इनकी जगह विदेशी यूकेलिप्टस के पेड़ लगाने शुरू कर दिए हैं, जो जमीन को जलविहीन कर देते हैं। आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ों ने ले ली है।

वृक्षों का पर्यावरण पर प्रभाव

पीपल, बरगद और नीम जैसे पेड़ों के न होने से वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। इसके अलावा, इन पेड़ों की कमी से गर्मी भी बढ़ती है क्योंकि ये पेड़ वायुमंडल को ठंडा रखने में मदद करते हैं। जब गर्मी बढ़ेगी, तो जल भाप बनकर उड़ेगा और जल संकट पैदा होगा।

समाधान की दिशा में कदम

यदि हम हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाएं, तो आने वाले कुछ सालों में प्रदूषण मुक्त भारत का सपना साकार हो सकता है। पीपल के पेड़ के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है, जिसकी वजह से शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं। इसीलिए पीपल को वृक्षों का राजा कहा जाता है।

वृक्षों की वंदना

पीपल की महिमा को एक श्लोक में वर्णित किया गया है:

मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच।

पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।।

समाज में जागरूकता

हमें इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। बाग-बगीचे बनाएं, पेड़-पौधे लगाएं, और बगीचों को फालतू के खेल के मैदान मत बनाएं। जैसे मनुष्य को हवा के साथ पानी की जरूरत है, वैसे ही पेड़-पौधों को भी हवा के साथ पानी की जरूरत होती है।

पुरातन साँच

हमारा पुरातन साँच यही सिखाता है:

बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।

घर-घर नीम लगाइये, यही पुरातन साँच।।

यही पुरातन साँच, आज सब मान रहे हैं।

भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं।।

विश्वताप मिट जाये, होय हर जन मन गदगद।

धरती पर त्रिदेव हैं, नीम पीपल और बरगद।।

निष्कर्ष

इन जीवनदायी पेड़ों को लगाकर हम न केवल पर्यावरण को सुधार सकते हैं, बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्वस्थ और स्वच्छ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। आइए, मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं और अपने देश को प्रदूषण मुक्त और हरित बनाएं।ll reactions:

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