इफको को मिला नैनो यूरिया, नैनो डीएपी उर्वरक का 20 साल का पेटेंट

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 भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) को नैनो नाइट्रोजन-फॉस्फोरस युक्त उर्वरक और इसके निर्माण की विधि के लिए पेटेंट प्राप्त हुआ है। यह पेटेंट 31 जुलाई 2024 से 20 वर्षों के लिए वैध रहेगा, जो पेटेंट अधिनियम, 1970 के प्रावधानों के तहत प्रदान किया गया है।इस नवीनता के अंतर्गत इफको के शोधकर्ताओं ने स्थायी नैनो नाइट्रोजन-फॉस्फोरस युक्त उर्वरक तैयार की है, जो फसलों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस पोषण के प्रभावी उपयोग में मदद करेगी। इससे किसान न केवल अपनी पैदावार बढ़ा सकेंगे, बल्कि टिकाऊ खेती की दिशा में भी कदम बढ़ा सकेंगे।

इफको के अनुसंधान करने वालो में अरुणाचलम लक्ष्मणन, उदय शंकर अवस्थी, योगेन्द्र कुमार, बिरींदर सिंह, दीपक गजानन इनामदार और तरुणेंद्र सिंह शामिल हैं, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण आविष्कार को साकार किया है।

देश में यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इफको ने एक बयान में कहा कि उसे भारत सरकार से 20 साल की अवधि के लिए उनके नैनो वेरिएंट के लिए पेटेंट मिला है।

इफको के प्रबंध निदेशक यू.एस. अवस्थी ने कहा, “इफको नैनो यूरिया और नैनो डीएपी की यह बौद्धिक संपदा कृषि की इनपुट लागत को कम करके भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी …”

इफको के नैनो यूरिया और नैनो डीएपी अगली पीढ़ी के उर्वरक किसानों और पर्यावरण को लाभ पहुंचा रहे हैं। उर्वरक सहकारी प्रमुख ने एक बयान में कहा कि ये उत्पाद मिट्टी, वायु और जल प्रदूषण को कम करने में सहायक होंगे।

इफको के एमडी के अनुसार, इन उत्पादों की कम मात्रा की आवश्यकता होती है, ताकि अच्छी मात्रा में फसल पैदा हो सके और साथ ही मिट्टी भी स्वस्थ बनी रहे। अवस्थी ने कहा, “यह मिट्टी को रसायनों के अत्यधिक उपयोग से बचाने का एक प्रयास है, जो इफको की दीर्घकालिक दृष्टि और प्रतिबद्धता है।”