मेहनत और लगन के दम पर कुछ भी किया जा सकता है. आज हम आपको एक ऐसी किसान महिला की सफलता की कहानी बताने वाले हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिल चुकी है. इस महिला को बेहतर गुणवत्ता वाली गाजर उठाने के लिए अलग पहचान मिल चुकी है.राजस्थान के सीकर में रहने वाली संतोष पचार ने गाजर की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक अलग तकनीक का इस्तेमाल किया. जिसके कारण उनकी बिक्री में भारी वृद्धि हुई.
पहले हुई थी काफी परेशान
अपने खेतों में उगने वाली बेस्वाद, टेढ़ी-मेढ़ी गाजरों से संतोष पचार बहुत परेशान थीं. जिसके कारण बाजार में उन फसलों की ज्यादा मांग भी नहीं रहती थी. जिसके कारण उन्हें लाभ भी नहीं मिलता था. जिसके बाद महिला किसान ने इस समस्या का हल ढूंढने के लिए सरकार की मदद ली. वे सभी सरकारी कृषि मेलों में जाने लगी. जहां उन्हें खेती के नए-नए तरीकों के बारे में पता चला.
घटिया किस्म के बीज थे असल वजह
कृषि मेलों में मिली जानकारी और ट्रेनिंग के बाद संतोष पचार को यह पता चला कि घटिया किस्म के बीजों के कारण गाजरों की फसल खराब हो रही थी. इसके बाद संतोष ने नया प्रयोग करते हुए परागण का तरीका अपनाया.
वे गाजरों की फसल को बेहतर करने के लिए शहद और घी के मिश्रण का इस्तेमाल किया. पहले तो लोगों ने उनके इस तरीके पर विश्वास नहीं किया. लेकिन संतोष ने सभी की बातों को अनसुना करते हुए अपने प्रयोग को जारी रखा.
फसलों में होता रहा सुधार
संतोष के इस प्रयोग के कारण उनकी गाजर की फसल की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ. उनके गाजर न केवल आकर में बेहतर होने लगे, बल्कि वे आकर में बेहतर और चमकदार भी हुए. इससे निकले बीज से फसल चक्र तेज हुआ और उन्हें काफी मुनाफा हुआ.
कमाई बढ़कर हुई पचास लाख
संतोष और उनके पति पहले किसानी से सालाना 1.5 लाख रुपये की कमाई कर रहे थे. लेकिन केवल गाजर की फसल से ही उनकी आय तेजी से बढ़कर सालाना 50 लाख रुपये तक पहुंच गए.
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित
संतोष पचार की सफलता के लिए उन्हें दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्हें साल 2013 और 2017 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिला. वे अब न केवल अच्छी कमाई कर रही हैं, बल्कि राज्य के हजारों किसानों को भी जैविक खेती के नए तरीकों के बारे में सिखा रही हैं.