गुजरात में  100 फीसदी से ज्‍यादा बारिश… मूंगफली-कपास की फसल को भारी नुकसान

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गुजरात में इस समय भारी बारिश का दौर जारी है और यह दौर किसानों के लिए बड़ी मुसीबत लेकर आया है. किसान इस बारिश में फसलों को हुए नुकसान को लेकर परेशान हैं. वहीं, सौराष्ट्र क्षेत्र के तटीय इलाके इस मॉनसून में बहुत ज्‍यादा बारिश से जूझ रहे हैं. देवभूमि द्वारका, पोरबंदर और जूनागढ़ जिलों के कुछ तालुकाओं में तो पिछले चार दिनों से बारिश जारी है. यहां पर अब तक औसत से 150 फीसदी से 200 फीसदी तक बारिश हुई है. इससे किसानों की स्थिति दयनीय हो गई है. बताया जा रहा है कि कपास और मूंगफली की खेती करने वाले किसान सबसे ज्‍यादा परेशान हैं.

 100 फीसदी से ज्‍यादा बारिश 

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार खेत तालाबों में तब्दील हो गए हैं. इस वजह से किसानों को अपनी मौजूदा फसलों के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को अब डर सता रहा है कि वो अगले कुछ सालों तक फसल नहीं ले पाएंगे क्योंकि खेती योग्‍य सारी जमीन बह गई है.  राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, द्वारका तालुका में 200 फीसदी से ज्‍यादा बारिश हुई है. वहीं कल्याणपुर और खंभालिया तालुका में क्रमशः औसत 135 फीसदी और 115 फीसदी वर्षा हुई. इसी तरह से जूनागढ़ जिले के मनावदर तालुका में औसत वर्षा का 48 फीसदी, केशोद में 126 फीसदी, वंथली में 130 फीसदी और मेंदर्दा में 116 फीसदी बारिश हुई. पोरबंदर में औसत 145 प्रतिशत बरसात हो चुकी है. 

बारिश रुकने की प्रार्थना कर रहे किसान 

ये सभी क्षेत्र तालुका सौराष्‍ट्र के घेड क्षेत्र का हिस्सा हैं. इसका आकार एकदम तश्तरी सा है और यहां पानी तब तक जमा रहता है जब तक कि वह हाई टेम्‍प्रेचर में भाप बनकर न उड़ जाए. ‘घेड’ शब्द गुजराती शब्द ‘घड़ो’ से आया है जिसका अर्थ है घड़ा. यह पूरा इलाका मूंगफली की फसल के लिए जाना जाता है. दूसरी ओर जूनागढ़ जिले के कुछ किसान कपास भी बोते हैं. लेकिन लगातार हो रही बारिश ने उन्हें इतना परेशान कर दिया है कि लालपुर गांव के किसान अब भगवान से बारिश रुकने की प्रार्थना करने लगे हैं. 

किसानों को भारी नुकसान का डर 

कल्याणपुर तालुका के एक गांव के किसान मोहन नकुम ने कहा, ‘द्वारका और कल्याणपुर दोनों जगहों पर किसानों को फसल के नुकसान का डर सता रहा है. उन्हें जमीन के बह जाने का भी डर है और साथ ही अब भारी फसल नुकसान की आशंका भी सताने लगी है.’ किसानों के अनुसार, अगर बारिश रुक जाती है और उन्हें अगले सप्ताह धूप मिलती है, तो इससे फसल का नुकसान कम हो सकता है. साथ ही वो 50 फीसदी फसल की उम्मीद कर सकते हैं. लेकिन अभी के मौसम को देखते हुए उन्‍होंने जल्दी धूप की उम्मीद छोड़ दी है.