किसानों की बेहतर कमाई के लिए सोयाबीन की NRC 181 किस्म

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मॉनसून आते ही किसान खरीफ फसलों की खेती की तैयारी में जुट गए हैं ताकि अच्छी उपज हासिल की जा सके. ऐसे में आज हम बात करेंगे खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली सोयाबीन की. इसकी खेती में सबसे अधिक महत्वपूर्ण इसकी सही किस्मों का चयन करना होता है. खरीफ सीजन के ठीक पहले किसान इस समय असमंजस में हैं कि वो कौन सी किस्मों की खेती करें जिससे अधिक उपज हासिल हो सके. ऐसे में आज हम उन किसानों को एक ऐसी वैरायटी के बारे में बताएंगे जो बंपर उपज देती है. साथ ही मात्र 92 दिनों में हो जाती है. इस किस्म का नाम NRC 181 है. सोयाबीन की खेती कैसे करें, इसकी भी A-Z जानकारी देंगे.

NRC 181 किस्म की जानिए खासियत

सोयाबीन की NRC 181 किस्म खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है. इस किस्म की उपज क्षमता 17 से 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. वहीं ये किस्म 92 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इसमें तेल की मात्रा 20.47 फीसदी और प्रोटीन सामग्री 41 फीसदी होती है. ये किस्म कई रोगों और कीटनाशकों के प्रतिरोधी भी है. ये पत्ती धब्बा के लिए प्रतिरोधी है. साथ ही पीले मोज़ेक रोग से लड़ सकती है. ये किस्म गर्डल बीटल और स्टेम फ्लाई के लिए भी प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र में की जाती है.

कब-कैसे करें सोयाबीन की बुवाई

सोयाबीन की खेती मुख्य रूप से खरीफ में होती है. इसकी बुवाई उत्तरी भारत में जुलाई महीने तक की जाती है. वहीं, दक्षिण भारत के क्षेत्रों में जुलाई अंत से मध्य अगस्त तक की जाती है. साथ ही खेती के लिए उचित जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है. इसकी खेती के लिए भूमि की तैयारी करते समय मिट्टी में जैविक कार्बनिक पदार्थों को ज्यादा से ज्यादा मिलाना चाहिए. साथ ही खेत तैयार करते समय 2 बार हैरो या मिट्टी पलट हल से जुताई करने के बाद देसी हल से जुताई करके पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए. इसके बाद ही बीजों की बुवाई करनी चाहिए.

खेती के लिए जरूरी हैं इतने बीज

सोयाबीन की सफल खेती के लिए बीजों की उपयुक्त मात्रा होनी चाहिए. यदि बीज के जमने की क्षमता कम है, तो बीजों की मात्रा उसी दर से बढ़ा देनी चाहिए. बुवाई के लिए मोटा दाना 80-85 किलो, मध्यम दाना 70-75 किलो और छोटा दाना 60-65 किलो प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है. वहीं, सोयाबीन की बुवाई पंक्तियों में 45×5 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए. साथ ही बुवाई से पहले बीजों को 2 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए.