कई परियोजनाओं पर नाम मात्र काम….कैसे हासिल हो सिंचाई का लक्ष्य

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भोपाल। मप्र ऐसा राज्य बन चुका है जहां पर निर्माण विभागों के काम कभी भी समय सीमा में पूरे नही होते हैं, फिर वो काम चाहे सरकार की प्राथमकिता में हो या फिर शासन की। इसके बाद भी शासन प्रशासन व सरकार इन मामलों में लापरवाह अफसरों व ठेकेदारों पर कार्रवाई करने की हिम्मत तक नहीं दिखा पता है। इसकी वजह से लापरवाही पर लगाम लगने की जगह वह बढ़ती ही जा रही है। ऐसा ही हाल सिंचाई विभाग का है। सरकार का दावा था कि  2025 में प्रदेश में 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होने लगेगी, लेकिन सरकार का ये दावा हवा हवाई साबित होने जा रहा है। इसकी वजह है वे सिंचाई परियोजनाएं, जिनमें अब तक नाम मात्र के लिए यानि कि 25 फीसदी तक ही काम हो सका है। इनमें सुठालिया, और मां रतनगढ़ जैसी 25 से अधिक सिंचाई परियोजनाएं शामिल हैं। यह वे परियोजनाए हैं जिन्हें अगले दो साल के अंदर पूरा किया जाना है। यदि सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण की यही गति रही तो समयावधि बढऩे के साथ इनकी लागत में भी वृद्धि होना तय है। मप्र में 65 लाख हेक्टयर में सिंचाई रकबा विकसित करने करीब 30 हजार करोड़ की लागत से 42 सिंचाई परियोजनाओं पर काम चल रहा है, लेकिन इन सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण की गति को देखते हुए लगता नहीं है कि ये समय-सीमा के भीतर पूरी हो सकेंगी। खासकर 500 करोड़ की चंदेरी परियोजना अक्टूबर 2024 में पूर्ण होनी थी, लेकिन अभी तक 75 फीसदी काम ही पूरा कराया जा सका है, वहीं 2627 करोड़ की बैतूल जिले में ताप्ति चिल्लूर का अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। इससे 81 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जाएगी। बैतूल की घोघरी परियोजना का काम भी अभी 80 प्रतिशत हुआ है, जबकि इसकी समय-सीमा 30 जून थी। ये 318 करोड़ में निर्मित कराई जा रही है, इससे करीब 12 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जानी है। भिंड जिले की कनेरा परियोजना जून 2025 में पूरी कराई जानी है। 152 करोड़ की इस परियोजना से 15 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जानी है, लेकिन अभी इसका 10 से 25 प्रतिशत ही काम पूरा हुआ है।
छिंदवाड़ा सिंचाई काम्पलेक्स की प्रगति शून्य
सिंचाई काम्पलेक्स का काम अभी तक प्रारंभ नहीं हुआ है। जबकि 5,470 करोड़ के इस प्रोजेक्ट से एक लाख 90 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती है। लेकिन ठेकेदार को एडवांस में पेमेंट करने और भ्रष्टाचार की वजह से यह प्रोजेक्ट काफी विवादों में रहा। भाजपा नेता बंटी साहू के आरोपों के कारण 2026 तक काम पूरा होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि सरकार ने इस प्रोजेक्ट के जांच कराने के निर्देश दिए थे। उधर, छत्तरपुर जिले की काठन जलाशय का काम भी अभी प्रारंभ नहीं हुआ है। ये 425 करोड़ का प्रोजेक्ट अगले दो साल में पूरा होना है। सीप अम्बर का काम अक्टूबर 2024 तक पूरा होना था लेकिन अभी तक 35 फीसदी ही काम हो सका है। यह प्रोजेक्ट 346 करोड़ में निर्मित कराया जाना है।