सप्लाई बढ़ाने और दलहन की बुवाई के रकबे में बढ़ोत्तरी आने से उड़द की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई है. इसका असर होलसेल मार्केट में दिखने भी लगा है. खुद इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने दी है. साथ ही केंद्र सरकार का मानना है कि दिल्ली और इंदौर के होलसेल मार्केट में उड़द की कीमतों में नरमी आनी से खुदरा बाजार में भी इसका असर जल्द ही दिखने लगेगा. हालांकि, चालू खरीफ सीजन में 5 जुलाई तक उड़द की बुआई का रकबा 5.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह रकबा 3.67 लाख हेक्टेयर था. खास बात यह है कि एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग के लगातार प्रयासों के चलते उड़द की कीमतों में गिरवाट शुरू हुई है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, एक बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कोशिश से ग्रोहकों के लिए कीमतों को स्थिर करने और किसानों के लिए अनुकूल मूल्य निर्धारण करने में मदद मिली है. वहीं, सरकार को इस साल अच्छी बारिश की उम्मीद है, ताकि किसान अधिक से अधिक रकबे में दलहन की बुवाई करें. खास कर बारिश होने से मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उड़द उत्पादक राज्यों में अच्छी फसल का उत्पादन होगा.
5 लाख हेक्टेयर के पार पहुंचा रकबा
बयान में कहा गया है कि 5 जुलाई, 2024 तक उड़द की बुवाई का रकबा 5.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह रकबा 3.67 लाख हेक्टेयर था. सरकार को उम्मीद है कि इस साल 90 दिनों की फसल से खरीफ में अच्छा उत्पादन होने की उम्मीद है. खरीफ बुवाई सीजन से पहले, नैफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किसानों के पूर्व-पंजीकरण में उल्लेखनीय तेजी आई है. ये एजेंसियां किसानों से उड़द की खरीद करेंगी. ये प्रयास किसानों को खरीफ सीजन के दौरान दलहन उत्पादन की ओर स्थानांतरित करने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की रणनीति का हिस्सा हैं.
किमतों में गिरावट शुरू
अकेले मध्य प्रदेश में, कुल 8487 उड़द किसान पहले ही एनसीसीएफ और नेफेड के माध्यम से पंजीकरण करा चुके हैं. इस बीच, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में क्रमशः 2037, 1611 और 1663 किसानों का पूर्व-पंजीकरण हुआ है, जो इन पहलों में व्यापक भागीदारी का संकेत देता है. नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत ग्रीष्मकालीन उड़द की खरीद जारी है. 6 जुलाई, 2024 तक, इंदौर और दिल्ली के बाजारों में उड़द के थोक मूल्यों में क्रमशः 3.12 प्रतिशत और 1.08 प्रतिशत की सप्ताह-दर-सप्ताह गिरावट देखी गई है. सरकार ने कहा कि घरेलू कीमतों के अनुरूप, आयातित उड़द की कीमतों में भी गिरावट का रुख है.