गार्डनिंग:मॉनसून में कैसे करें अपने पौधों की देखभाल

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गार्डनिंग का शौक रखने वाले लोगों के लिए बारिश का मौसम सबसे फेवरिट होता है. लेकिन गर आपको लगता है कि बारिश का सीजन आते ही आपके पौधों को देखभात की जरूरत नहीं है तो आप गलत हैं. बरसात के मौसम में भी अपने प्यारे पौधों की सेहत को हरगिज नजरअंदाज न करें. आज हम आपको बताते हैं कि इस मौसम में आप कैसे अपने पौधों की हेल्‍थ अच्‍छी रख सकते हैं.

मॉनसून के आते ही मन खिल उठता है. चिलचिलाती गर्मी से छुटकारा दिलाने का बस एक ही जरिया होता है और वह है मॉनसून की बारिश. मॉनसून की बारिश दिल को सुकून देने वाली होती है. हर तरफ बस हरियाली देखकर दिल खुश हो जाता है. गार्डनिंग का शौक रखने वाले लोगों के लिए यह मौसम सबसे फेवरिट होता है. लेकिन गर आपको लगता है कि बारिश का सीजन आते ही आपके पौधों को देखभात की जरूरत नहीं है तो आप गलत हैं. बरसात के मौसम में भी अपने प्यारे पौधों की सेहत को हरगिज नजरअंदाज न करें. आज हम आपको बताते हैं कि इस मौसम में आप कैसे अपने पौधों की हेल्‍थ अच्‍छी रख सकते हैं. 

ड्रेनेज का रखें खास ध्‍यान 

बरसात के मौसम में यह बहुत जरूरी है कि पानी निकलता रहे. यह बात सुनिश्चित करें कि आपके पौधों के गमलों में ड्रेनेज के लिए पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था हो जिससे गमलों में पानी न भरें. अगर गमले में पानी भरा रहेगा तो फिर आपके पौधे की जड़ें सकती हैं. बेहतर होगा कि आप अपने गमले को किसी स्‍टैंड पर रख दें. ऐसा करने से गमलों से अतिरिक्‍त पानी भी आराम से निकल जाएगा.  

पौधों को शेड में जरूर रखें 

निश्चित तौर पर बारिश का पानी पौधों के लिए फायदेमंद होता है. लेकिन अगर बारिश तेज होगी तो कमजोर पौधों को नुकसान पहुंचेगा. छोटे और कमजोर पौधों को शेल्‍टर में रखें. गमलों में लगे सजावटी या फिर मनी प्‍लांट के पौधों को बालकनी, पोर्च या किसी कैनोपी के नीचे ढंकी हुई जगहों पर रखें.  बगीचे के पौधों को आप कैनोपी, रो कवर या फिर तिरपाल से कवर करके रख सकते हैं. ऐसा करने से पानी से होने वाले नुकसान से पौधों को बचाया जा सकेगा, मिट्टी का कटाव कम होगा और पौधों की हेल्‍थ बरकरार रहेगी. 

छंटाई और सफाई

वैसे तो आपको अपने प्‍लांट्स की साल भर कटाई-छटाई करते रहनी चाहिए लेकिन मॉनसून के मौसम में इसका खास ध्‍यान रखा जाना चाहिए. मानसून में अपने पौधों को साफ-सुथरा रखें और सूखी पत्तियों और मलबे से दूर रखें. गमले में एयर वैंटीलेशन बराबर होता रहे और यह फंगस वाले रोगों से बचे रहें, इसके लिए जरूरी है कि बराबर छटाई की जाती रहे. गिरे हुए पत्तों को तुरंत हटा दें क्योंकि ये  कीड़ों और बीमारियों के लिए हॉट स्‍पॉट बन सकते हैं.  

फंगल रोगों से सावधान रहें

बरसात के मौसम में फंगल रोगों का होना आम बात है. इनसे बचाने के लिए नाजुक पौधों पर ऑर्गेनिक फंगीसाइड्स का प्रयोग करें. बहुत ज्‍यादा पानी देने से बचें और फंगल ग्रोथ को रोकने के लिए पानी देने के बीच मिट्टी को थोड़ा सूखने दें. पौधों के बीच उचित दूरी बनाकर रखें इससे वैंटीलेशन होता रहेगा. सही वेंटिलेशन पत्तियों को सूखा रखने और फंगल रोगों के उन्‍हें बचाने में मदद करता है. 

मिट्टी की नियमित जांच करें

बारिश के मौसम में भारी बारिश से मिट्टी की स्वस्थ परत बह सकती है. पौधों की ग्रोथ अच्‍छी हो इसके लिए मिट्टी की जांच करते रहें. यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पोर्स नजर आएं ताकि जड़ों के आसपास पानी आसानी से निकल सके. पानी के अब्सॉर्प्शन को बेहतर बनाने के लिए मिट्टी को ढीला करें. अगर पानी आसानी से नहीं निकल रहा है तो पौधों के आसपास बनने वाली काई को हटा दें. 

ऑर्गेनिक पेस्‍ट कंट्रोल 

बारिश के मौसम में अक्सर कीड़ों की संख्या में इजाफा हो जाता है. अपने पौधों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ऑर्गेनिक पेस्‍ट कंट्रोल को अपनाएं. इसके लिए नीम का तेल, लहसुन का स्प्रे या कीटनाशक साबुन जैसे प्राकृतिक उपचारों का प्रयोग अपने बगीचे में लेडीबग और लेसविंग जैसे कीटों को पनपने के लिए उपाय करें. ये कीड़ें आम बगीचे में पैदा होने वाले कीड़ों के प्राकृतिक शिकारी हैं. संक्रमण का पहला इशारा मिलते ही अपने पौधों का रेगुलर तौर पर निरीक्षण करें और कीड़ों को दूर रखने के लिए तुरंत एक्‍शन लें.