महाराष्ट्र में इस साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले शक्तिपीठ हाइवे का मामला गरम हो चुका है. अब इस मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार भी कूद पड़े हैं. पवार ने सांगली और सोलापुर के किसानों को मदद का भरोसा दिलाया है. ये वो किसान हैं जो इस हाइवे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्रस्तावित हाइवे को नागपुर-गोवा शक्तिपीठ ई-एक्सप्रेस वे के तौर पर भी जाना जाएगा.
सोमवार को सांगली और सोलापुर के किसानों ने पवार से उस समय मुलाकात की, जब वह यहां पर दौरे पर थे. ई-एक्सप्रेव किसानों के खेतों से गुजरेगा. ऐसे में किसानों पर इसका विपरीत असर पड़ने की आशंका है. सतीश साखलकर की मानें तो पवार ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से भी बात की है. साखलकर सांगली के एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और इस ई-एक्सप्रेव के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने पवार को बताया है कि वह 12 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के बाद एक मीटिंग करेंगे. किसानों ने इस एक्सप्रेव को रद्द करने के लिए राज्य सरकार को 13 जुलाई तक का समय दिया है. साखलकर ने कहा है कि अगर सरकार इस प्रोजेक्ट को कैंसिल नहीं करती है तो फिर किसान राष्ट्रीय राजमार्गों को ब्लॉक कर देंगे.
हजारों एकड़ की जमीन हाइवे के लिए
यह हाइवे महाराष्ट्र के 12 जिलों से होकर गुजरेगा. बताया जा रहा है कि इस हाइवे से राज्य के करीब 12589 किसानों को नुकसान होगा जिसमें बीड के परली चुनाव क्षेत्र के 700 किसान भी शामिल हैं. कहा जा रहा है कि राज्य की 27 हजार एकड़ जमीन इस हाईवे में चली जाएगी. मराठवाड़ा में प्रभावित कृषि भूमि कई सिंचाई नहरों, नदियों, कुओं, तालाबों की वजह से सिंचित और उपजाऊ है. हजारों परिवारों की आजीविका इस प्रभावित भूमि पर हर निर्भर है. किसानों की मानें तो इस हाइवे की वजह से ये सभी प्राकृतिक या कृत्रिम संसाधन नष्ट हो जाएंगे. वहीं राजमार्ग के किनारे छोड़ी गई हजारों हेक्टेयर भूमि पानी की कमी के कारण बंजर या फिर सूखाग्रस्त है.
क्या कहना है किसानों का
किसानों की मानें तो इस राजमार्ग के कारण उन लोगों का जीवन मुश्किल हो जाएगा जो अपनी रोजाना की मजदूरी के लिए कृषि पर निर्भर हैं. ये वो किसान हैं जिनके पास पारंपरिक कृषि व्यवसाय है या उनके बच्चे पेशेवर रूप से किसी और व्यवसाय में काम नहीं कर सकते हैं. किसानों का कहना है कि अधिशेष के रूप में अर्जित आय भी घाटे में जा रही है. हाइवे से प्रभावित किसानों को दोहरा नुकसान होगा. इस हाईवे में कई किसान भूमिहीन हैं और उन्हें पलायन करना पड़ता है और यह उनकी भी एक बड़ी समस्या है.