आंध्र प्रदेश कृषि विभाग ने बढ़ाई निगरानी,अब नकली खाद और घटिया बीज नहीं बेच पाएंगे दुकानदार

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आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में नकली खाद और घटिया बीजों की बिक्री पर लगाम लगाने के लिए कृषि विभाग ने निगरानी बढ़ा दी है. हाल ही में रबी सीजन के दौरान अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान करोड़ों रुपये के अवैध खाद और नकली बीज बरामद किए थे. इसके बावजूद भी नकली खाद और नकली बीजों बिक्री नहीं रूक रही है. ऐसे में किसानों को नकली खाद और घटिया बीज महंगे दामों पर खरीदने से नुकसान उठाना पड़ रहा है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने हाल ही में कृषि और संबंधित विभागों की समीक्षा बैठक के दौरान इस मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया. जवाब में, कृषि और सतर्कता विभाग के अधिकारियों ने अपनी जांच बढ़ा दी है और निरीक्षण किए हैं. पिछले शुक्रवार को कृषि, सतर्कता और प्रवर्तन विभागों की संयुक्त टीमों ने छह कृषि इनपुट दुकानों का निरीक्षण किया और 28.31 लाख रुपये मूल्य के 10.31 क्विंटल मिर्ची और कपास के बीज जब्त किए. इन बीजों के नमूने गुणवत्ता परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, कृषि उत्पादों से संबंधित मुद्दों की रिपोर्ट करने के लिए जनता के लिए एक टोल-फ्री नंबर जारी किया गया है.

मार्केट में नहीं होगी खाद की कमी

गुंटूर के कृषि अधिकारी नुन्ना वेंकटेश्वरुलु ने कहा कि सभी दुकानों के लिए उत्पादों की कीमतें प्रदर्शित करना अनिवार्य है और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक कीमत वसूलने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा, अधिकारी बीज और उर्वरकों के थोक भंडारण पर भी रोक लगा रहे हैं, ताकि मार्केट में खाद और बीजों की कमी न हो. एक अधिकारी ने कहा कि कमी की वजह से  किसान तो परेशान होंगे ही साथ में कीमतें भी बढ़ेंगी. साथ ही ऐसे में किसानों को घटिया गुणवत्ता वाले सस्ते खाद-बीज खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जो कीटों, वायरस और बैक्टीरिया के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. जिससे पैदावार कम हो जाती है.

क्या कहते हैं कृषि अधिकारी

कृषि अधिकारी नुन्ना वेंकटेश्वरुलु ने कहा कि अब खाद-बीज के विक्रेताओं को कपास और मिर्ची की फसल के बीज बेचने से पहले बिक्री डिटेल्स देखनी होगी और कृषि अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेनी होगी. अगर व्यापारी इस नियम का पालन नहीं करते हैं, तो उनके ऊपर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. साथ ही कानूनी कार्रवाई और आपराधिक आरोप भी लगेंगे. वहीं, किसानों को कृषि इनपुट खरीदते समय इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य उन्हें ऐसे विक्रेताओं के शिकार होने से रोकना है.