ई-किसान उपज निधि स्कीम एक ऐसी योजना है जिसमें तकनीक की सहायता से किसानों की मदद की जाती है. इस स्कीम से सहारे किसानों के लिए अनाज के भंडारण की व्यवस्था आसान हो जाती है. साथ ही अगर किसान को तुरंत लोन की जरूरत होती है, तो वे पैसे ले सकते हैं. इसलिए यह योजना किसानों के लिए काफी लाभकारी मानी जाती है. इसका एक और फायदा यह होता है किसानों को अपनी उपज के अच्छे दाम मिल जाते हैं. भंडारण की अच्छी व्यवस्था होने से किसान बाजार में कीमत और मांग के अनुसार अपने उत्पाद को बेचने के लिए ले जाते हैं.
सबसे पहले यह जानते हैं कि ई- किसान उपज निधि स्कीम क्या है. ई-किसान उपज निधि स्कीम किसानों को एक बेहतरीन ऑनलाइन मंच उपलब्ध कराता है. इसके द्वारा किसान रजिस्टर्ड गोदामों में रखे गए अपने उपज के रसीद को दिखाकर बैंकों में अपने उत्पाद को गिरवी रखकर पोस्ट हार्वेस्ट लोन ले सकते हैं. वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी की तरफ से इस स्कीम की शुरुआत की गई है. ई-किसान उपज निधि और टेक्नोलॉजी की मदद से भंडारण व्यवस्था आसान हो जाएगी. किसानों को उचित दाम पर फसल बेचने में मदद मिलेगी. इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े बैंक किसानों को ब्याज दर और रकम चुनने का विकल्प भी उपलब्ध कराते हैं.
उपज की मिलेगी अच्छी कीमत
ई-किसान उपज निधि स्कीम का फायदा यह कि इसके जरिए किसानों के भंडारण की समस्या का समाधान हो जाएगा. इसके पोर्टल पर एक लाख गोदामों को रजिस्टर्ड करने का लक्ष्य रखा गया है. फिलहाल इस पर 1500 से अधिक गोदाम रजिस्टर्ड हैं. ‘ई-किसान उपज निधि’ और ई-नाम के साथ, किसान एक इंटरकनेक्टेड मार्केट की टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में सक्षम होंगे, जो उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर या उससे ज्यादा दाम पर अपनी उपज को सरकार को बेचने का फायदा पहुंचाती है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसानों को अपनी उपज के अच्छे दाम भी मिलेंगे.
इस तरह मिलेगा लोन
किसान अपनी उपज को वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी से रजिस्टर्ड गोदामों में जमा करके लोन पा सकेंगे. इसका फायदा यह होगा कि किसान बिना कुछ गिरवी रखे 7 प्रतिशत ब्याज दर पर लोन ले सकेंगे. इससे किसानों के लिए भंडारण करना आसान हो जाएगा और वे अपनी उपज का उचित मूल्य भी हासिल कर पाएंगे. किसानों को फसल कटाई के बाद अक्सर उसे बेचने की जल्दी रहती है क्योंकि फसल खराब होने लगती है या फिर चूहे और कीड़े उसे बर्बाद करते हैं. लेकिन बेहतर भंडारण की सुविधा उपलब्ध होने पर किसानों को उपज रखने की सुविधा मिलेगी. फिर उसी उपज का कागज दिखाकर वे बैंकों से लोन ले सकेंगे.