लोक सभा के नए सत्र के पहले संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया भर नहीं होता है क्योंकि इसमें आमतौर पर अगले पांच वर्ष के लिए सरकार की नीतियों और योजनाओं को रेखांकित किया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18वीं लोक सभा की शुरुआत के बाद संसद के पहले संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए जो कुछ कहा वह कई लिहाज से महत्त्वपूर्ण था।
यह संबोधन तब आया जब नरेंद्र मोदी का बतौर प्रधानमंत्री तीसरा कार्यकाल शुरू हुआ लेकिन यह वह कार्यकाल है जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझेदारों की भूमिका बहुत अहम है क्योंकि पिछले दो अवसरों की तरह इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) को अपने दम पर बहुमत नहीं हासिल हो सका।
व्यापक सामाजिक-राजनीतिक बहस के मुताबिक देखें तो यह ऐसे समय हुआ है जब रोजगार, खासकर युवा बेरोजगारी एक अहम मुद्दा है और घरेलू तथा विदेशी कारोबारियों का निवेश कमजोर पड़ा है। ऐसे में इस भाषण से उम्मीद की जा रही थी कि इसमें नीतिगत दिशा को लेकर अहम बातें कही जाएंगी।
इस भाषण में सरकार की पिछली उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बात की गई। इसने मोटे तौर पर इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारत 10 वर्ष पहले की दुनिया की 11वीं बड़ी अर्थव्यवस्था से उठकर अब पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है और इस समय हमारा देश दुनिया की सबसे तेज विकसित होती अर्थव्यवस्था वाला देश है। इन परिस्थतियों का श्रेय ‘रिफॉर्म, परफॉर्म ऐंड ट्रांसफॉर्म’ को दिया गया। आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर कोविड के बाद 2021 से 2024 के बीच वृद्धि का दायरा सालाना 8 फीसदी रहने की बात को रेखांकित किया गया।
कुल मिलाकर अभिभाषण में राजनीतिक दृष्टि से सभी जरूरी विषयों को छुआ गया। सरकार के गरीबी निवारण पर ध्यान केंद्रित करने, पर्यावरण के अनुकूल अर्थव्यवस्था, किसानों और महिलाओं के सशक्तीकरण आदि विषयों को रेखांकित किया गया। उन विषयों का भी उल्लेख किया गया जिनका अतीत में काफी विरोध हुआ है।
उदाहरण के लिए भाषण में इस बात का उल्लेख किया गया कि सरकार ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत नागरिकता प्रदान करना शुरू किया, कैसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों ने पिछले चुनाव में एक बार फिर खरा उतर कर दिखाया और कैसे अनुच्छेद 370 को समाप्त करने से जम्मू -कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे में परिवर्तन आया।
यह दिलचस्प बात है कि भाषण में परीक्षा संबंधी संस्थाओं में व्यापक बदलाव के वादे से भी पीछे नहीं हटा गया। यह हाल ही में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के पेपर लीक से जुड़ी हुई बात है। ध्यान रहे कि यह परीक्षा केंद्र सरकार की एक संस्था के नेतृत्व में कराई जाती है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस बात के तगड़े संकेत थे कि सरकार आगामी आम बजट के लिए अपनी क्षमताएं बचाकर रख रही है। मुर्मू के अभिभाषण में साफ बताया गया कि कैसे आगामी बजट सरकारी दूरगामी और भविष्यदर्शी नीतियों और दृष्टिकोण का एक प्रभावी दस्तावेज होगा। मुर्मू ने वादा किया कि ‘बड़े आर्थिक और सामाजिक निर्णयों के साथ बजट में कई ऐतिहासिक कदम’ भी देखने को मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि बजट सुधारों की गति को तेज करेगा और ऐसा ‘देश के लोगों की तेज विकास की आकांक्षा’ के अनुरूप ही होगा। इसमें अहम बात थी दुनिया भर से निवेश जुटाने के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की।
उन्होंने कहा कि ऐसा करना प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद की वास्तविक भावना के अनुरूप होगा। लोक सभा के मौजूदा स्वरूप में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जोरदार बहस की उम्मीद है लेकिन विपक्ष के लिए बेहतर होगा कि वह बजट तक प्रतीक्षा करे।