क्‍या MSP गारंटी पर पलटी मार रही कांग्रेस….किसानों की भी सुध लो ‘इंडिया’

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नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्‍ट यानी NEET कथित पेपर लीक पर देश में घमासान मचा हुआ है. कई दिनों से छात्र संगठन दोबारा नीट कराने की मांग कर रहे हैं. वहीं नीट के मुद्दे पर शुक्रवार को सदन में राहुल गांधी भी हमलावार हुए. ये बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का पहला सरकार घेरो कार्यक्रम था. हालांकि उस पर भी माइक बंद करने को लेकर घमासान मचा पड़ा है, लेकिन ये सच है कि नीट पर कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन यानी इंडिया का ये स्‍टैंड काबिल-ए-तारिफ था.

किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी से देश की युवा पीढ़ी को नुकसान होता है और युवा पीढ़ी को होने वाला ये नुकसान देश की तरक्‍की पर जंग का काम करता है, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्‍व में वापस ऊर्जावान हुई कांग्रेस का ये स्‍टैंड कांग्रेस पर ही सवाल खड़ा कर रहा है. सवाल ये ही है, क्‍या कांग्रेस ने फिर से MSP गारंटी समेत किसानों के मुद्दों पर पलटी मार दी है?

साथ ही सवाल ये भी है कि नीट की तरह ही कांग्रेस और इंडी गठबंधन से जुड़े उसके सहयोगी आंदोलनकारी किसानों की सुध कब लेंगे. सवाल ये भी है कि जब सदन के विशेष सत्र में नीट पर चर्चा की कोशिश राहुल गांधी के नेतृत्‍व में विपक्ष ने की थी, तो क्‍या इसी दाैरान किसानों के मुद्दों पर चर्चा का माहौल बना कर उम्‍मीद लगाए 14 करोड़ किसान परिवारों को मैसेज नहीं दिया जा सकता है. आइए इस पर विस्‍तार से बात करते हैं.

कांग्रेस, किसान और लोकसभा चुनाव

कांग्रेस क्‍या MSP गारंटी कानून समेत किसानों के अन्‍य मुद्दों पर ढीली पड़ गई है. इस सवाल का जवाब खोजने से पहले कांग्रेस, किसान और लोकसभा चुनाव पर बात कर लेते हैं, जिसके सहारे इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को संजीवनी मिली है. असल में कांग्रेस ने MSP गारंटी कानून बनाने, स्‍वामीनाथ आयोग की सिफारिश C2+50% के फार्मूले से MSP तय करने जैसे किसानों से कई वादों के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा था.

इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को किसानों से किए इन वादों का फायदा भी मिला. मसलन, कांग्रेस और उसके इंडी गठबंधन को महाराष्‍ट्र, हरियाणा, राजस्‍थान, पंंजाब, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्‍यों में भरपूर फायदा भी मिला. इससे कांग्रेस और उसके इंडी गठबंधन के साथियों की सीटें बढ़ी तो वहीं बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर हुई.

हालांकि बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में तीसरी बार सरकार बना ली है, लेकिन लोकसभा चुनाव पर किसान फैक्‍टर का ही असर है कि मोदी सरकार 3.0 में एमपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कृषि व किसान कल्‍याण मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दी गई, जिनकी पहचान मुख्‍यमंत्री रहते हुए भी किसान नेता की रही है. मतलब, शिवराज सिंह चौहान की बतौर केंद्रीय कृषि मंत्री ताजपोशी काे बीजेपी की किसानों की नाराजगी कम करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.

नीट या MSP, छात्र बनाम किसान!

सदन के विशेष सत्र में चर्चा के लिए सवाल नहीं होते हैं, राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा होती है और इस दौरान विपक्ष मुद्दे उठा सकता है. इस पर कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन की तरफ से नीट के मुद्दे को प्राथमिकता दी गई है. ये अच्‍छी बात है. नीट का मुद्दा सीधे तौर पर 23 लाख परीक्षार्थियों से जुड़ा है तो वहीं अपरोक्ष रूप से पूरी युवा पीढ़ी नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं पर निर्भर हैं. ऐसे में कांग्रेस का नीट पर रचनात्‍मक चर्चा का प्रयास सरहानीय है, लेकिन ये भी सच है कि MSP गारंटी कानून से जुड़ा हुआ मुद्दा 14 करोड़ किसानों और उनके परिवारों से जुड़ा हुआ है.

कांग्रेस खुद MSP गारंटी समेत किसानों से जुड़े कई मुद्दों पर अमल के वादे के साथ लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है. वहीं पंजाब-हरियाणा में किसान आंदाेलन 13 फरवरी से जारी है. बड़ी संख्‍या में किसान सड़कों पर हैं. महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश,राजस्‍थान के प्‍याज किसान एक्‍सपोर्ट पर लगी शर्तें हटने का इंतजार कर रहे है.

इसी तरह से सोयाबीन, कपास, सरसों, मूंगफली के किसानों बदलाव की उम्‍मीद लगाएं हैं, ऐसे में राहुल गांधी समेत कांग्रेस और समूची इंडी गठबंधन को MSP गारंटी कानून और किसानों के मुद्दों को दोयम दर्जे में रखने का प्रयास अपच पैदा करता है, क्‍योंकि सदन में कांग्रेस की मजबूती के बाद देशभर के किसानों काे सदन में किसान राजनीति पर प्रभावी बातचीत होने की उम्‍मीद है. 

MSP के साथ गांरटी शब्‍द से क्‍यों परहेज कर रहा इंडिया 

सदन के विशेष सत्र में विपक्ष के मुद्दों को लेकर इंडी गठबंधन के नेताओं ने बीते दिन कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्‍लिकार्जुन खरगे के आवास पर रायशुमारी की, जिसमें नीट, अग्‍निवीर, महंगाई के साथ ही MSP पर सदन में चर्चा को लेकर रायशुमारी बनी है, लेकिन ये पूरी कवायद दो सवाल छोड़ती है.

 पहला कि आखिर क्‍यों कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेताओं के लिए किसानी के मुद्दों काे क्‍यों दोयम दर्जे में रख दिया है ताे वहीं दूसरा, आखिर क्‍यों इंडी गठबंधन के नेता MSP के साथ गांरटी शब्‍द से परहेज कर रहे हैं, जिसकी तस्‍दीक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल के बयान से की जा सकती है.

हनुमान बेनीवाल ने बैठक के बाद कहा था कि विपक्ष एकजुट है, जो मुद्दे हैं, उनपर कल से ही विरोध चालू करेंगे और चर्चा की मांग करेंगे. NEET, अग्निवीर, महंगाई, MSP अहम मुद्दे हैं. ED, CBI जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग भी मुद्दा रहेगा. यहां पर ये जानना जरूरी है कि हनुमान बेनीवाल कभी एनडीए के सहयोगी थे, जिन्‍होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन के बाद एनडीए से रिश्‍ता तोड़ दिया था.

क्‍या MSP गारंटी पर पलटी मार रही कांग्रेस

राहुल गांधी, कांग्रेस और इंंडी गठबंधन का MSP गारंटी कानून पर ये ढीला रूख कई सवाल खड़े कर रहा है. सवाल ये ही है कि क्‍या कांग्रेस MSP गारंटी पर पलटी मार रही है. कांग्रेस पर ये आक्षेप इस वजह है क्‍योंकि कांग्रेस MSP गारंटी कानून लागू करवाने के वादे के साथ  चुनाव में ऊर्जावान बन कर उभरी है. जबकि इससे पहले भी राजस्‍थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने MSP गारंटी कानून लागू करने का वादा किया था.

ऐसे में सदन में ऊर्जावान बनी कांग्रेस का MSP गारंटी कानून पर ढीला रूख सवाल खड़ा करता है.तो वहीं इससे पहले कांग्रेस किसानों के मुद्दों पर दगाबाज साबित हो चुकी है. कांग्रेस के शासनकाल यानी साल 2005 में ही स्‍वामीनाथ आयोग ने अपनी सिफारिशें सौंपी थी, जिसमें किसानों को MSP C2+50% फार्मूले से देने की सिफारिश की थी, कांग्रेस ने स्‍वामीनाथ आयोग की कुुल 201 सिफारिशों में से 175 तो लागू कर दी, लेकिन MSP से जुड़ी समेत कुल 26 सिफारिशों को खारिज कर दिया था.

ऐसे में कांग्रेस को किसानों की कई समस्‍याओं का जिम्‍मेदार माना जाता है. उम्‍मीद है कि इस सत्र के बचे हुए दिनों समेत मॉनसून सत्र में कांग्रेस और इंंडी गठबंधन के नेता सदन में MSP गारंटी कानून समेत किसानों के अन्‍य मुुद्दों को प्राथमिकता से उठाएंगे.