मप्र में मिलेट्स फेडरेशन के गठन की कवायद अंतिम दौर में,गुजरात के अमूल की तर्ज पर काम करेगा

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मप्र में कैबिनेट की मंजूरी के करीब एक साल बाद प्रदेश सरकार मिलेट्स फेडरेशन के गठन की कवायद में जुटी हुई है। फेडरेशन एक स्वतंत्र इकाई की तरह श्री अन्न (मिलेट्स) की खरीदी, मार्केटिंग व ब्रांडिंग करेगा। गौरतलब है कि 11 अप्रैल 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मप्र राज्य मिलेट मिशन योजना लागू करने का निर्णय लिया गया था। अब तकरीबन एक साल बाद प्रदेश में मिलेट्स फेडरेशन के गठन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। जुलाई में फेडरेशन को पहला सीईओ मिल जाएगा। इसके साथ ही फेडरेशन काम शुरू कर देगा। फेडरेशन बनने से किसानों को कई फायदे होंगे। फेडरेशन उचित दाम पर कोदो- कुटकी की खरीदी करेगा। किसानों को तीन साल तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। मिलेट्स की बिक्री से फेडरेशन को जो आय होगी, उसका एक बड़ा हिस्सा किसानों को दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मिलेट अनाज की फसलें कभी प्रदेश की खान-पान की संस्कृति के केंद्र में थी। वर्तमान में इन फसलों के पोषक महत्व को दृष्टिगत रखते हुए इन्हें बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। इन फसलों की खेती प्राय: कम उपजाऊ क्षेत्रों में की जाती है। वर्तमान में उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढऩे से मिलेट फसलों की मांग बढ़ रही है। कोदो, कुटकी, रागी, सांवा जैसी फसलें स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभदायक हैं। इन मिलेट फसलों के महत्व के दृष्टिगत इनको पोषक अनाज का दर्जा दिया गया है। इन फसलों के अनाज आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि से भरपूर होते हैं। साथ ही इनमें वसा का प्रतिशत भी कम होता है, जिससे हृदय रोगी एवं डायबिटीज रोगियों के द्वारा इनका उपयोग सुरक्षित पाया गया है। इसलिए किसानों के बीच मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने एवं मिलेट फसलों से तैयार व्यंजनों का प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है। अब मिलेट्स फेडरेशन इस दिशा में काम करेगा।
रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना शुरू
गौरतलब है कि प्रदेश में मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को मिलेट्स की उपज का उचित दाम देने के लिए डॉ. मोहन यादव सरकार ने रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना शुरू की है। प्रदेश में अभी हर साल करीब 70 हजार टन मिलेट्स का उत्पादन होता है। वर्तमान में सरकार की ओर से मिलेट्स की खरीदी की कोई अलग से व्यवस्था नहीं है। सरकार ने आने वाले वर्षों में मिलेट्स का उत्पादन एक लाख टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। मिलेट्स का सेवन करने के कई तरह से फायदेमंद हंै। मिलेट्स विटामिन, मिनरल्स, फाइबर, आयरन, प्रोटीन समेत कई पोषक तत्वों से भरपूर और ग्लूटन-फ्री होते हैं, जो कई तरह से फायदेमंद माने जाते हैं। इन्हें खाने से डायबिटीज कंट्रोल रहती है, वजन नहीं बढ़ता, एनर्जी मिलती है। इतना ही नहीं, इनका सेवन हार्ट को हेल्दी बनाने में भी काफी मददगार हो सकता है।
एक्सपर्ट भी मिलेट्स को डाइट में रखने की सलाह देते हैं। कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल का कहना है कि मिलेट्स फेडरेशन के गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है। जुलाई में फेडरेशन के सीईओ की नियुक्ति हो जाएगी। यह प्रदेश में अपने तरह का अलग फेडरेशन होगा। कोदो-कुटकी की खरीदी के रेट तय कर दिए गए हैं। देश में मिलेट्स के उत्पादन के मामले में राजस्थान सबसे आगे है। मिलेट्स उत्पादन में मप्र का सातवां स्थान है। देश में कुल उत्पादित होने वाले मिलेट्स उत्पादन में से राजस्थान अकेला 28.06 फीसदी का उत्पादन और मध्य प्रदेश 5.07 प्रतिशत मिलेट्स का उत्पादन करता है। जबलपुर संभाग में मुख्यत: मंडला- डिंडोरी और जबलपुर जिले के कुंडम क्षेत्र में ही कोदो- कुटकी का उत्पादन हो रहा है। मप्र में इस बेल्ट को मिलेट्स का कटोरा कहा जाता है। मिलेट्स में शामिल हैं 16 किस्मै: मिलेट्स की 16 प्रमुख किस्में हैं। इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, लघु बाजरा, प्रोसो बाजरा, कोदो, कुटकी आदि शामिल हैं। मिलेट्स कैल्शियम, आयरन और फाइबर से भरपूर होता है। यह अन्य अनाज की तुलना में टेस्टी भी होते हैं। यह इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है।
देश का पहला मिलेट्स फेडरेशन
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह देश का पहला मिलेट्स फेडरेशन होगा। इसकी कार्यप्रणाली प्रदेश के दुग्ध संघ समेत अन्य सहकारी संघों से बिल्कुल अलग होगी। यह गुजरात के अमूल की तर्ज पर काम करेगा। इसके कामकाज में सरकार का दखल नहीं होगा। सरकार सिर्फ इस बात की मॉनिटरिंग करेगी कि फेडरेशन को जो इक्विटी राशि दी जा रही है, उसका ठीक से उपयोग हो रहा है या नहीं। फेडरेशन का काम सिर्फ श्री अन्न (मिलेट्स) की खरीदी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि श्रीअन्न का प्रसंस्करण कर कैसे देश-दुनिया में इसकी मार्केटिंग व ब्रांडिंग की जाए, यह फेडरेशन का मुख्य कार्य होगा। फेडरेशन नो प्रॉफिट, नो लॉस के फार्मूला पर काम करेगा। मिलेट्स की बिक्री से फेडरेशन को जो आय होगी, उसका एक बड़ा हिस्सा किसानों को दिया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि इसी सीजन से मिलेट्स की खरीदी शुरू की जाएगी। मिलेट्स फेडरेशन किसानों से सिर्फ कोदो और कुटकी की खरीदी करेगा। मिलेट्स की अन्य किस्मों की खरीदी नहीं की जाएगी। इनकी कीमत भी तय कर दी गई है। कोदो 20 रुपए और कुटकी 30 रुपए प्रति किलो खरीदी जाएगी। किसानों को 10 रुपए प्रति किलो के मान से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस तरह किसानों को कोदो की बिक्री पर किसानों को प्रति किलो 30 रुपए और कुटकी की बिक्री पर प्रति किलो 40 रुपए मिलेंगे। किसानों को प्रोत्साहन राशि तीन साल तक दी जाएगी।