रुपया नए निचले स्तर पर लुढ़का

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अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को 83.57 के नए निचले स्तर पर बंद हुआ। डीलरों का कहना है कि डॉलर इंडेक्स में तेजी और तेल आयातकों के बीच डॉलर की मांग में तेजी आने से रुपया इस स्तर पर बंद हुआ। सोमवार को रुपया 83.51 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ।

पिछले हफ्ते जारी गैर-कृषि पेरोल डेटा उम्मीद से कहीं अधिक मजबूत रहे और दरों में कटौती में और देरी की आशंका के साथ ही अमेरिका के फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) की बैठक के नतीजे आने से पहले डॉलर इंडेक्स में 0.1 फीसदी की मजबूती रही और यह 105.25 हो गया।

करुर वैश्य बैंक के ट्रेजरी प्रमुख वी आर सी रेड्डी ने कहा, ‘बुधवार को यूएस फेडरल रिजर्व बैठक के नतीजे आने से पहले एहतियात के कारण डॉलर इंडेक्स में तेजी देखी गई। लेकिन प्रति डॉलर के मुकाबले रुपये के 83.60 के स्तर को पार करने की संभावना कम है। यह इन स्तरों के आसपास स्थिर हो जाएगा।’

बाजार के प्रतिभागियों ने यह अटकलें लगाईं हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डॉलर की बिक्री कर विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया है ताकि रुपये में और गिरावट न हो। मौजूदा वर्ष में 19 अप्रैल को रुपया एक दिन के कारोबार में अब तक के निचले स्तर 83.58 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर चला गया।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक और ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘ऐसा संदेह है कि आरबीआई ने 83.50 और 83.55 के स्तर पर डॉलर बेचे हैं। बुधवार को रुपया 83.45 रुपये प्रति डॉलर से 83.70 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में रह सकता है और अब निगाहें आरबीआई पर होंगी कि यह आगे रुपये का अवमूल्यन चाहता है या नहीं।’ कारोबारियों की निगाहें अमेरिका के मुद्रास्फीति डेटा पर भी है ताकि आगे स्थानीय मुद्रा की गतिविधि को लेकर कुछ अंदाजा मिले।

एलकेपी सिक्योरिटीज में उपाध्यक्ष (शोध विश्लेषक-जिंस एवं मुद्रा) जीतन त्रिवेदी का कहना है, ‘प्रतिभागी अमेरिका के सीपीआई डेटा जारी होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जो बाजार की गतिविधि के लिए अहम है। इसके अलावा अमेरिका के फेडरल रिजर्व की आगामी नीति और बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भविष्य की आर्थिक स्थिति का अंदाजा मिलेगा। इन घटनाक्रम का डॉलर पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा और नतीजतन रुपये के प्रदर्शन पर भी इसका असर होगा।’

अब तक रुपये के मूल्य में 0.1 फीसदी की गिरावट आई है। मौजूदा वित्त वर्ष में रुपये में 0.2 प्रतिशत तक का अवमूल्यन हुआ है। अगर मौजूदा कैलेंडर वर्ष की बात करें तो रुपये का अवमूल्यन 0.4 फीसदी तक है।