किसान पाले गोरू और गोरू पाले खेत और खेत से ही सधते किसान के सब हेत”, ये कहना है बांदा जिले के बड़ोखर गाँव में रहने वाले मशहूर किसान प्रेम सिंह का। ‘तपता रेगिस्तान’ कहे जाने वाले बुंदेलखंड में तरक्की की फसल उगाने का श्रेय प्रेम सिंह को जाता है। आइये देखते हैं किसान ऑफ इंडिया के साथ खास बातचीत में प्रेम सिंह की सफ़लता के गुरु मंत्र।
यानी किसानों का असली दोस्त, एक ऐसा ठिकाना जो किसानों को जागरूक बनाये, उन्हें खेती-बाड़ी के नये गुर सिखाये, बेहतर और नयी तकनीकों की जानकारी दे, ताकि किसानों की आमदनी, उनका मुनाफ़ा बढ़ सके, वो ख़ुशहाल हो सकें। इस Digital अड्डे पर हम किसानों और पशुपालकों को खेती-किसानी से जुड़ी सरकारी नीतियों और योजनाओं की जानकारी देंगे, उन्हें एग्रीकल्चर स्टार्टअप शुरू करने वालों के बारे में बताएँगे। यहाँ उन्नत बीजों और नस्लों की जानकारी मिलेगी, नये शोध और प्रयोगों का ब्यौरा मिलेगा, वो भी देश और दुनिया भर के कृषि विशेषज्ञों की ज़ुबानी।
प्रकृति से प्रेम की अनोखी मिसाल, प्रेम सिंह की बगिया
प्रेम सिंह की बगिया
जहाँ स्वच्छ हवा है
स्वच्छ फ़िजा है
सुकून भी है, हाँ वही तो है,
प्रेम सिंह की बगिया।
देखा था मैंने
हरियाली ही हरियाली
प्रकृति का प्रेम
पर्यावरण का बदलता स्वरुप
खिल-खिलाते लोग,
बगिया में है एक अलग-सा सुकून,
है कुछ अद्भुत सा
फलों का भंडार सा
वो आम, अमरूद की महक
कोयल की कूक और चहक
प्रकृति की गोद में खिलखिलाते लोग
हाँ- हाँ यही सब कुछ तो है
प्रेम सिंह की बगिया में।
वो अद्भुत नजारा
प्रकृति से मिलना हमारा,
न भूलने की बातें
वो मस्ती भरी सहेलियों संग बिताई रातें,
कभी न भूलने वाला एहसास
हाँ ऐसी ही है कुछ खास,
सब कुछ लगता है वैसा
बिलकुल अपने गांव जैसा।
वही सड़क, वही नज़ारा
उपवन मानों प्यारा-प्यारा,
जहाँ सुकूं भी है
और प्यार भी
यह है, मैं और मेरे एहसास।
कभी आप भी आएं, प्रेम सिंह की बगिया में और आनंद लोजिये यहां के प्राकृतिक माहौल का।