दुग्ध कृषि:क्या होती है सफलता की श्वेत धारा?

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दुग्ध कृषि, पशुपालन का ही एक महत्वपूर्ण अंग है, जो न केवल पौष्टिक दूध का उत्पादन करता है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। 

दुग्ध कृषि क्या है?

दुग्ध कृषि पशुओं, मुख्यतः गाय, भैंस, बकरी आदि के पालन और उनके दूध उत्पादन का व्यवसाय है। 

इसमें पशुओं के चारे का प्रबंधन, उनके रहने का स्थान (गोशाला), उनके स्वास्थ्य की देखभाल और दूध निकालने से लेकर प्रसंस्करण और विपणन तक सभी कार्य शामिल होते हैं। 

यह एक लाभदायक व्यवसाय है जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी पैदा करता है।

दुग्ध पशुओं का चयन कैसे करें?

सफल दुग्ध कृषि के लिए उपयुक्त पशुओं का चयन सबसे महत्वपूर्ण कदम है। पशुओं का चुनाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे: 

जलवायु

विभिन्न नस्लों के पशु अलग-अलग जलवायु के अनुकूल होते हैं। गर्म जलवायु के लिए थारपारकर या गिर गाय उपयुक्त मानी जाती हैं, वहीं ठंडे इलाकों के लिए होल्स्टीन फ्रिजियन नस्ल बेहतर विकल्प है।

दूध उत्पादन क्षमता

विभिन्न नस्लों के पशुओं में दूध देने की क्षमता अलग-अलग होती है। अपनी जरूरत के हिसाब से अधिक दूध देने वाली नस्ल का चयन करना चाहिए।

आहार संबंधी आवश्यकताएं

कुछ नस्लों के पशुओं को अधिक मात्रा में चारे की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ कम में ही अच्छा दूध दे देते हैं। अपने क्षेत्र में उपलब्ध चारे के आधार पर पशुओं का चुनाव करना चाहिए।

प्रजनन क्षमता

अच्छी प्रजनन क्षमता वाली गायों या भैंसों का चयन करना चाहिए ताकि दूध उत्पादन का सिलसिला बना रहे।

पशुओं का चयन करते समय अनुभवी पशुपालकों या पशु चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही, सरकारी पशु आश्रय स्थलों या पंजीकृत प्रजनन केंद्रों से ही पशुओं को खरीदना चाहिए।

पशु प्रबंधन

दुधारू पशुओं का उचित प्रबंधन उनकी उत्पादकता को सीधे प्रभावित करता है। इसमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

आवास

पशुओं के लिए साफ-सुथरा, हवादार और रोशनी वाला गोशाला होना चाहिए। रहने की जगह पर्याप्त होनी चाहिए ताकि पशु आराम से खड़े हों, लेट सकें और घूम सकें।

चारा

पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए जिसमें हरा चारा, सूखा चारा, खली और दाना शामिल हों। आहार उनकी उम्र, नस्ल और दूध उत्पादन क्षमता के अनुसार होना चाहिए।स्वच्छता

गोशाला की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए और पशुओं को भी साफ रखना चाहिए। इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है और दूध की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है।

स्थ्य देखभाल

पशुओं का नियमित रूप से टीकाकरण करवाना चाहिए और उनकी स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए। किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

डेयरी फार्मिंग सब्सिडी योजना

भारत सरकार डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए अनेक सब्सिडी योजनाएं चलाती है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान डेयरी फार्म स्थापित कर सकते हैं, पशुधन उत्पादकता बढ़ा सकते हैं और अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इन योजनाओं से जुडी सम्पूर्ण जानकारी आप https://www.nddb.coop/, https://agriwelfare.gov.in/ इन दोनों वेबसाइट पर जा कर प्राप्त कर सकते है।