देश के कई हिस्सों में कपास की बुआई का काम जोरों पर चल रहा है। ऐसे में कई जगहों पर किसानों को कपास की कुछ विशेष किस्मों के बीज मिलने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर रासी सीडस प्राईवेट लिमिटेड के कपास फसल की किस्म आरसीएच 659 बीजी-2 एवं नूजीवीडू सीडस लिमिटेड की कपास फसल की किस्म एनसीएस 866 बीजी-2 की मांग ज्यादा होने से किसानों को बीज आसानी से उपलब्ध नही हो पा रहे हैं।
इस संबंध में कृषि विभाग, धार के उपसंचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में कपास बीज विभिन्न कंपनियों के निजी विक्रेताओं के पास उपलब्ध है। साथ ही बीज की आपूर्ति भी विभिन्न बीज निर्माता कम्पनी के माध्यम से निरंतर जारी है। किसानों को बीज उपलब्धता सुलभता से करवाने हेतु निजी बीज विक्रेता की दुकान पर संबंधित क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी की डयुटी लगाई गई है। जिसकी निगरानी में कपास बीज विक्रय किया जा रहा है।
किस रेट पर मिलेगा कपास बीजी-1 और बीजी-2 का बीज
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष बीज-1 कपास बीज 635 रुपये प्रति पैकेट (475 ग्राम) एवं बीजी-2 कपास बीज 864 रुपये प्रति पैकेट (475 ग्राम) कीमत निर्धारित की गई हैं। कोई भी बीज विक्रेता निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर कपास बीज विक्रय या नकली बीज विक्रय करता पाया जाता है, तो बीज नियंत्रण आदेश एवं बीज अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी। जिले के विकास खण्ड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एवं जिला स्तरीय निरीक्षण दल द्वारा भी कपास बीज विक्रय की सतत निगरानी रखी जा रही हैं।
किसान यह देख कर खरीदें बीज
कृषि विभाग द्वारा किसानों को कपास के बीज पंजीकृत विक्रेताओं से ही खरीदने की सलाह दी गई है। साथ ही बीज लेते समय बीज की किस्म, कम्पनी का नाम, बेच नम्बर, लॉट नम्बर, बीज उत्पादन तिथि, अंतिम तिथि, दर, मात्रा, इत्यादि जानकारी देखने की अपील की गई है। इसके अलावा किसान बीज खरीदते वक्त दुकानदार से पक्का बिल लेने को कहा गया है।
किसान 25 से 30 मई के दौरान करें बुआई
उप संचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि अधिकांश किसान 15 मई से कपास फसल की बुआई प्रारंभ कर देते हैं। वर्तमान में जिले के निमाड़ क्षेत्र में तापमान 35-40 डिग्री हैं एवं गर्म हवाएं चल रहीं है। ऐसी स्थिति में कपास बीज का अंकुरण एवं पौधों की बढवार पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि किसान भाई कपास की बुआई 25 से 30 मई या तापमान कम होने पर ही बुआई करें, कपास की बुआई जल्दी करने पर पिंक बाल वर्म के प्रकोप होने की संभावना अधिक रहती हैं।