भीषण गर्मी से प्रभावित हो रही अर्थव्यवस्था

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देश में पड़ रही इस भीषण गर्मी से केवल आम आदमी ही नहीं प्रभावित है, बल्कि इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है.आगामी मानसून का मौसम भी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है.

देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत देश की ज्यादातर राज्यों में भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिल रहा है. पारा 45 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर ही रह रहा है, जिसकी वजह से आम जन जीवन को काभी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. देश में पड़ रही इस भीषण गर्मी से केवल आम आदमी ही नहीं प्रभावित है, बल्कि इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है.आगामी मानसून का मौसम भी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है. भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) के खाद्य कीमतों को प्रभावित करने वाले कारकों में मौसम भी एक कारण बनता जा रहा है.

  • साल के अंत तक नहीं कम होने वाली ब्याज दरें

आरबीआई ने एक साल से अधिक समय से अपनी बेंचमार्क ब्याज दर को 6.5% पर बरकरार रखा है, जो अपेक्षाकृत कठोर रुख पर कायम है क्योंकि महंगाई अपने 4% लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है. सब्जियों और दालों की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीदों के कारण आरबीआई जल्द अपना रूख नहीं बदलने वाली है, जबकि ब्याज दरों में साल के अंत तक कोई परिवर्तन होने की उम्मीद नहीं है.

सब्जियों और दालों की कीमतों में इजाफा

देश के कुछ इलाकों में चल रही लू के कारण सब्जियों और दालों की कीमतों पर दबाव बना हुआ है, जिसमें बीते कुच समय से काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बता दें कि देश की कई शहरों में तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर दर्ज किया जा रहा है. वहीं, स्थानीय बाजार में दाल की डिमांड काफी हद तक बढ़ गई,जबकि इसकी तुलना सप्लाई बेहद कम हो रहा है. जिसकी वजह से दलहन की कीमतों में आगमी अक्तूबर तक कमी नहीं आने की आशंका है. अप्रैल में दालों में मुद्रास्फीति 16.8% थी, तुअर में 31.4%, चने में 14.6% और उड़द में 14.3% थी.

सरकार की बढ़ी चिंता

खाद्य कीमतों की में बढ़ते दबाव के कारण महंगाई बढ़ती जा रही है, जो नियंत्रण के तमाम उपायों के बावजूद सरकार की चिंता बढ़ा दी है. बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी के मौजूदा हालात ने हवाई यात्री, डीजल की खपत और टोल कलेक्शन में कमी के साथ यात्रा क्षेत्र को पर भारी असर डाला है.