जून माह में बोई जाने वाली फसलें 

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आज के बदलते समय और आधुनिकता से खेती-बाड़ी करने के लिए के किसान भाइयों के पास उन्नत किस्म के बीज, उन्नत रासायनिक खाद, कीटनाशक तथा पानी की समुचित व्यवस्था होनी अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

इसके साथ-साथ किस महीने में कौन- सा कृषि कार्य करना है, उसकी सही ढ़ंग से जानकारी होनी अति आवश्यक है। मई माह जिसको आप वैशाख-ज्येष्ठ भी कहते हैं। 

ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ और जाड़ों से ठिठुरी हुई धरती, मानव, पशु-पक्षियों में नई जान डालने वाले इस महीने में खरीफ की फसलें बोने का उचित समय होता है।

मेरीखेती के इस लेख में आज हम आपको मई माह में किए जाने वाले कृषि कार्यों के बारे में बताएंगे। मई महीने के प्रमुख कृषि कार्य मई महीने में रबी फसलों की गहाई और सफाई का काम किया जाता है। 

इस महीने में मक्का, ज्वार, लोबिया इत्यादि फसलों की बुवाई चालू हो जाती है। खेतों की जुताई करने के साथ ही मेड़ों को सही ढ़ंग से बाँधने का काम किया जाता है। 

गन्ने की फसल में 90-92 दिन के समयांतराल पर सिंचाई करने का काम किया जाता है। मक्का, ज्वार, संकर नेपियर घास की फसलों की सिंचाई 10-12 दिन के समयांतराल पर की जाती हैं।  

मई महीने में केला और पपीता के फलों को पत्तियों व बोरियों से ढक कर तेज धूप से बचाया जाता है। वहीं, कद्दू वर्गीय फसलों में निराई, गुड़ाई और सिंचाई करते हैं। कद्दू, तरबूज, ककड़ी, खरबूजा को कीट रोग से बचाते हैं। 

जो फल तैयार है, उसे तोड़ लेते हैं। आम के पेड़ों की देखभाल सही तरीके से करते हैं और जड़ों में समयानुसार सिंचाई करते रहते हैं। ताकि पानी की कमी में फल मुरझाकर नीचे न गिरने लगे। मई महीने में अरबी, अदरक, हल्दी की बुवाई की जाती है। 

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आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यह सागौन, महुआ, शीशम इत्यादि पौधों के बीज बोने का सही समय है। साथ ही, बीज की बुवाई के पश्चात रोज सुबह शाम हल्की सिंचाई करते हैं। 

किसान भाई सही तरीके से बीजोपचार पर ध्यान दें। उचित दवाई व ढंग से किये गए बीजोपचार से फसल पर बीमारी नहीं लगेगी तथा कीटनाशक दवाईयां छिडकने पर खर्चा नहीं करना पडेगा। 

यदि 2-3 दवाईयों से एक साथ बीजोपचार करना हो तो बीज पर सबसे पहले कीटनाशक, फिर बीमारी नाशक तथा सबसे बाद में जैव-खाद का उपयोग करें। इससे उन्नत फसल के साथ-साथ धनराशि की भी बचत होगी। 

किसान भाई उच्च श्रेणी के कृषि रोगरोधक बीज, उन्नत किस्म के खाद व दवाईयां, आधुनिक कृषि यंत्र, जैव-खाद और समय से सिंचाई की समुचित व्यवस्था करें, ताकि आपको बिना किसी दिक्कत-परेशानी के भरपूर व लाभदायक उत्पादन प्राप्त हो सके। 

दलहनी फसलों, मूंगफली, सोयाबीन और बरसीम जैसी फसलों में खेती में खर्चा कम करने के लिए खादों के साथ-साथ जैव-खादें भी अवश्य उपयोग करें। ऐसा करने से उत्पादन काफी हद तक बढ़ जाता है।