तेलंगाना के मेडक जिले के तहत आने वाले कौडीपल्ली गांव में रहने वाले किसान बी महिपाल रेड्डी के बारे में अब लोग कहते हैं कि उन्हें बाजार की स्थितियों के बारे में बहुत अच्छे से मालूम है. रेड्डी, धान की खेती करते थे लेकिन उन्हें इसमें जब बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ तो उन्होंने टमाटर की खेती शुरू कर दी. रेड्डी के लिए टमाटर सोने की तरह साबित हुए जब उन्होंने सिर्फ 15 दिनों में इसकी फसल को बेचकर दो करोड़ रुपये कमा डाले.
तेलंगाना राज्य अपनी चावल की खेती के लिए मशहूर है लेकिन यहां पर एक किसान टमाटर की खेती से करोड़ों कमा रहा है. शैक्षिक रूप से पिछले इस किसान ने कैसे खेती के क्षेत्र में विजय हासिल की है, यह अपने आप में प्रेरणा देने वाला है. तेलंगाना के मेडक जिले के तहत आने वाले कौडीपल्ली गांव में रहने वाले किसान बी महिपाल रेड्डी के बारे में अब लोग कहते हैं कि उन्हें बाजार की स्थितियों के बारे में बहुत अच्छे से मालूम है. रेड्डी, धान की खेती करते थे लेकिन उन्हें इसमें जब बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ तो उन्होंने टमाटर की खेती शुरू कर दी. जिस उम्मीद में उन्होंने टमाटर की खेती का फैसला किया था, आज वह उनकी सफलता की कहानी बन गया है.
15 दिन में कमाए करोड़ों रुपये
रेड्डी के लिए टमाटर सोने की तरह साबित हुए जब उन्होंने सिर्फ 15 दिनों में इसकी फसल को बेचकर दो करोड़ रुपये कमा डाले. उन्होंने खुद बताया कि कैसे इस फसल से उन्हें लॉटरी लग गई. उनकी सफलता की यह कहानी पिछले साल की है लेकिन एक साल बाद भी लोग इसका जिक्र कर रहे हैं. रेड्डी ने जून 2023 में बताया कि दो करोड़ रुपये का फायदा तो उन्हें हुआ ही साथ ही साथ एक करोड़ रुपये की फसल उन्होंने और बो डाली थी. जिस समय रेड्डी टमाटर की खेती में करोड़ों रुपये कमा रहे थे, उसी समय देश में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही थी. कई जगहों पर तो टमाटर की 100 से 120 रुपये किलो तक बिका था.
मुश्किल सफर कैसे हुआ आसान
रेड्डी का यह सफर हालांकि आसान नहीं था. उन्हें आज भी याद है कि कैसे वह गांव में अपनी 20 एकड़ कृषि भूमि पर धान की खेती करते थे. धान की खेती में कई बार घाटा होने के बाद उन्होंने नौ साल पहले आठ एकड़ में सब्जियां उगाना शुरू किया था. तेलंगाना में आमतौर पर पड़ोसी आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली और कर्नाटक के कोलार से टमाटर आते हैं. और रेड्डी ने उन जगहों का दौरा किया और उनकी खेती की शैली और तकनीक को करीब से परखा.
खेती की खास तकनीक
अप्रैल और मई के दौरान तेलंगाना का तापमान बहुत ज्यादा होता है और यह टमाटर की खेती के लिए सही नहीं है. इसलिए, तापमान और जलवायु परिस्थितियों के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए, उन्होंने 16 लाख रुपये खर्च करके आठ एकड़ टमाटर की खेती वाले क्षेत्र में एक नेट शेड बनाया. इससे टमाटर की पैदावार बढ़ी और गुणवत्ता सुनिश्चित हुई. वह अप्रैल में टमाटर के बीज बोते हैं और जून के अंत तक फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
ड्रिप सिंचाई का प्रयोग
महिपाल रेड्डी ने कहा कि वह खेती में ड्रिप सिंचाई और स्टेकिंग विधियों का उपयोग करते हैं. रेड्डी हैदराबाद और उसके बाहरी इलाकों के बोयनपल्ली, शाहपुर और पटनचेरू बाजारों में अपने टमाटर बेचते हैं. टमाटर के 25 से 28 किलोग्राम के एक डिब्बे की कीमत उन्हें 2500 से 2700 रुपये प्रति डिब्बे मिली. उन्होंने करीब 7000 डिब्बे बेच डाले और इनसे उन्हें करीब दो करोड़ रुपये मिले. रेड्डी ने 20 एकड़ की अपनी जमीन के अलाव 80 एकड़ जमीन लीज पर ली है और 60 एकड़ में धान की खेती की है. बाकी बची जमीन पर वे दूसरी फसलें भी उगाते हैं.