कृषि उपज की बिक्री बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ऑनलाइन अंतर राज्यीय बिक्री सुविधा देने के लिए नए कृषि कानून लाने की योजना पर काम कर रहा है. इससे किसानों को उनके राज्य की सीमा के बाहर दूर के स्थानों पर अपनी उपज ऑनलाइन बेचने में मदद मिलेगी. अंतर राज्य व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए शुल्क सहित रूल्स रेगुलेशन तैयार करने के लिए एक स्वतंत्र नियामक प्राधिकरण स्थापित करने की योजना है.
नियामक बनेगा जो रूल्स रेगुलेशन तय करेगा
केंद्रीय कृषि मंत्रालय 2012 में यह स्कीम लेकर आया था, लेकिन कड़े फैसले नहीं लिए जाने के चलते यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई थी. रिपोर्ट के अनुसार भारत के संविधान के अनुच्छेद 307 के तहत ऐसे अधिकारी को नियुक्त करने का प्रावधान है जो कृषि उपज बिक्री के लिए रूल्स और रेगुलेशन बना सकता है. सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के कानून से सरकार के ई-नाम प्लेटफॉर्म (e-NAM) के माध्यम से लेनदेन बढ़ाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि इस तक पहुंच रखने वाला कोई भी व्यक्ति खरीद और बिक्री कर सकेगा.
अच्छी कीमत के लिए मंडियों पर निर्भर नहीं रहेंगे किसान
केंद्र सरकार चाहती है कि किसान अपनी मेहनत से हासिल उपज के बदले अच्छी कीमत पाने के लिए कृषि मंडियों (APMC) पर निर्भर न रहें. हालांकि, इससे कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड खेती का रास्ता खुलता है. बताया गया कि प्रस्ताव अभी भी विचाराधीन है और डिटेल्स पर काम किया जा रहा है. सरकार पिछले कृषि कानूनों पर किसानों के विरोध से सबक लेकर इस विधेयक को संसद में ले जाने से पहले सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ परामर्श कर सकती है. सूत्र ने कहा कि किसी भी राज्य सरकार को इसका विरोध नहीं करना चाहिए अगर उनके किसानों को दूसरे राज्यों से बेहतर कीमत मिलती है, क्योंकि सीधी बिक्री से उन्हें कृषि उपज बेचने के लिए और अधिक विकल्प तलाशने के अच्छे अवसर मिल सकते हैं.
e-NAM से लेनदेन बढ़ाने में मदद मिलेगी
सूत्रों ने यह भी कहा कि इस तरह का कानून सरकार के ई-नाम प्लेटफॉर्म (e-NAM) के माध्यम से लेनदेन बढ़ाने में मदद कर सकता है, क्योंकि इस तक पहुंच रखने वाला कोई भी व्यक्ति खरीद और बिक्री कर सकता है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि अंतर-राज्य व्यापार की सफलता खरीदारों के बीच विश्वास बनाने पर निर्भर करेगी, जो वर्तमान में उपज की क्वालिटी में कमी के चलते कतराते हैं.