एमपी में 45 डिग्री गर्मी में सड़क पर किसान,पसंदीदा कपास के बीज के लिए महाराष्ट्र में भी लगी किसानों की लंबी लाइन

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महिलाएं-बच्चे खा रहे धक्के; पुलिस के सामने क्यों बंट रहा कपास का टोकन,खरगोन की कपास मंडी में अन्य कंपनी के बीज लेने के लिए किसानों को की जा रही अपील के बाद भी किसान राशि 659 के लिए कतारे लगाए रहे।

मध्यप्रदेश के खरगोन नगर की कपास मंडी में शनिवार सुबह से ही कपास बीज लेने वाले किसानों की लंबी-लंबी लाइन देखने को मिली। बड़ी संख्या में राशि 659 वैरायटी के कपास बीज को लेने पहुंचे किसानों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए यहां पुलिस व्यवस्था भी करनी पड़ी, तो वहीं कृषि अधिकारी लगातार किसानों को समझाते दिखे कि यह वैरायटी अभी उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा दूसरी वैरायटी का कपास लगाने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं आएगी। हालांकि, किसान राशि 659 वैरायटी का कपास बीज ही चाहते थे, जिसके लिए दोपहर तक ही करीब 2000 से अधिक टोकन किसानों के द्वारा ले लिए गए थे।

महाराष्ट्र के अकोला जिले सहित राज्य के कई हिस्सों में इस साल 15 दिन पहले ही कृषि केंद्रों पर बीजों की बिक्री शुरू कर दी गई है. इसके बावजूद किसानों को उनके पसंदीदा कपास किस्म के बीजों के लिए घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद सिर्फ एक या दो पैकेट ही बीज मिल पा रहा हैं. जिसकी वजह से किसान काफी परेशान हैं, क्योंकि खरीफ मौसम में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. ऐसे में बीज की कमी के कारण खेती कैसे सही समय पर हो पाएगी. कपास के बीज के लिए किसानों को कहीं-कहीं पर लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है. उनके साथ धक्का मुक्की भी हो रही है. महाराष्ट्र ही नहीं मध्य प्रदेश से भी ऐसी ही खबर आई है, जहां कपास के बीज के लिए किसानों को लंबी लाइन लगानी पड़ रही है.

महाराष्ट्र की बात करें तो यहां के अकोला जिले में कपास के लिए किसानों को लाइन लगानी पड़ रही है. कृषि केंद्र पर अपने पसंदीदा बीच को लेने के लिए लंबी कतार दिखाई दी, जिसमें महिला किसान भी शामिल थीं. कपास के बीज के लिए कुछ महिलाएं आपस में धक्का मुक्की और एक दूसरे पर लात घूसे चलाती दिखाई दीं. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. बताया जा रहा है कि एक कंपनी के कपास का बीज अब बहुत कम बचा है. उसे पाने के लिए किसान घंटो लाइन में खड़े हो रहे हैं.

किसानों ने क्या कहा?

किसानों का कहना है कि कृषि विभाग से मिलने वाला यह बीज हमारे विश्वास का है. इससे अच्छा उत्पादन मिलता है. तो वहीं दूसरी ओर कृषि अधिकारी का कहना है कि किसान हमेशा एक ही किस्म के बीज के पीछे न भागें. बाकी भी कपास की किस्मों के बीज है, उन्हें भी बुवाई करके देखें. लेकिन किसान जिस किस्म पर एक बार विश्वास कर लेते हैं उसके अलावा दूसरा लेने को तैयार नहीं होते. एक ही किस्म के बीज पर जोर देने के कारण लाइन लग रही है और लोग धक्का-मुक्की कर रहे हैं. 

नकली बीजों की करें शिकायत

उधर, एक ओर जहां किसानों को बीज नहीं मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर कई जिलों से नकली बीज बेचने की शिकायतें भी सामने आ रही हैं. यवतमाल जिले में फर्जी बीजों की समस्या और बीज खरीदने पर दुकानदारों द्वारा ज्यादा पैसा ल‍िए जाने की शिकायतों को देखते हुए कृषि विभाग ने एक टोल फ्री नंबर जारी क‍िया है. यह टोल फ्री नंबर (9403229991) है. अगर किसी किसान को नकली बीज मिला है तो वो इस नंबर पर शिकायत कर सकता है. उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा.

खरगोन की कपास मंडी में अन्य कम्पनी के बीज लेने के लिये किसानों को की जा रही अपील के बाद भी किसान राशि 659 के लिये कतारे लगा रहे हैं। शनिवार को भी किसानों की बीज लेने के लिये मानो होड़ नजर आई। हालांकि, प्रशासन ने व्यवस्थाओ में बदलाव कर कृषि उपज मंडी की जगह कपास मंडी में टोकन वितरण की व्यवस्था कर रखी थी। यहां तहसीलदार, पटवारी सहित पुलिस की मौजूदगी में टोकन बांटे गए।

हालांकि, किसानों को बीज नहीं मिल पाया। यहां भी टोकन वितरण के दौरान एनाउंसमेंट के जरिये सूचना दी गई कि फिलहाल दुकान पर बीज की कमी है। टोकन लेने के बाद दुकान पर बीज नहीं मिलने पर इंतजार करें। वहीं, शनिवार सुबह 8 बजे से शुरू हुए टोकन वितरण के बाद दोपहर तक करीब 2 हजार टोकन बांटे गए। साथ ही किसानों को सलाह दी गयी है कि अन्य कम्पनी का बीज बाजार में उपलब्ध है, एक ही वैरायटी के लिये परेशान न हों।विज्ञापन

वहीं जिले के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी गिरधारी भावर ने बताया कि यहां कपास वितरण के लिए लाइन लगी हुई है, और किसान कपास की विशेष किस्म के पीछे जा रहे हैं। उन्हें राशि 659 वैरायटी चाहिए जो कि अभी जिले में उपलब्ध नहीं है, उसके लिए किसान लाइन लगा रहे हैं। बजाय इसके अन्य वैरायटी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और इसके लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि लोगों को आसानी से वैरायटी उपलब्ध हो।
हालांकि बीज आ रहा है और किसानों को दिया भी जा रहा है, पर उन्हें अधिक रेट में न मिले, इसलिए उन्हें यहां बुलाकर दिया जा रहा है, जिससे किसानों को नुकसान न हो। और उधर अनाज मंडी में किसानों के खड़े होने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। इसलिए यहां कपास मंडी में उन्हें शिफ्ट किया है, क्योंकि यहां पर्याप्त मात्रा में शेड का इंतजाम है।