केंद्र ने 14,000 मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल एक्सपोर्ट की दी मंजूरी

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प्याज के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने मॉरीशस को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है. भारत मॉरीशस को 14,000 मीट्रिक टन सफेद चावल निर्यात करेगा.

प्याज के एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध को हटाने के बाद सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने मॉसीशस को 14,000 मिट्रीक टन गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट की मंजूरी दे दी है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, भारत ने सोमवार को सफेद चावल के निर्यात पर मुहर लगाई है. डीजीएफटी ने कहा, “नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से मॉरीशस को 14,000 मीट्रिक टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है.”

  • जुलाई में लगाया था प्रतिबंध

इससे पहले जुलाई 2023 में केंद्र सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, हालांकि सरकार ने यह भी कहा था कि अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने और उन देशों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की इजाजत दी जाएगी.

FY 24 में किया 790.58 मिलियन डॉलर का हुआ निर्यात

भारत ने अप्रैल-फरवरी वित्तीय वर्ष 2024 में 790.58 मिलियन डॉलर के गैर-बासमती सफेद चावल का एक्सपोर्ट किया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2023 में यह 2.2 बिलियन डॉलर का था. 2023-24 में भारत ने केन्या, मोजाम्बिक और वियतनाम को सबसे ज्यादा गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात किया था.वहीं, मॉरीशस को 7.48 मिलियन डॉलर का चावल निर्यात किया गया था.

कुछ दिन पहले प्याज से हटा था बैन

बता दें कि देश में हो रहे लोकसभा चुनाव 2024 के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए हाल ही में प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. इसके अलावा प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने का भी ऐलान किया है. सरकार की ओर जारी एक नॉटिफिकेशन के मुताबिक, ये बदलाव शनिवार यानी 4 मई से प्रभावी हो गए हैं.

सरकार ने 550 डॉलर प्रति टन का लगाया MEP

सरकार ने प्रतिदिन 550 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी)लगाया है. बता दें कि महाराष्ट्र में किसानों के असंतोष बीच सरकार की ओर से अनिश्चित काल के लिए बढ़ाए गए बैन को 43 दिन बाद हटाया गया था. महाराष्ट्र के प्याज व्यापारी और किसान प्रतिबंध हटाने के लिए सरकार से लगातार आग्रह कर रहे थे, उनका कहना है था कि इससे किसानों को बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद मिलेगी. हालांकि, सरकार इस डर से झिझक रही थी कि कहीं देश में प्याज की कीमतों में उछाल न आ जाए.