वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) में विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों की बात नहीं सुनी गई, चाहे वह कृषि निर्यात से जुड़ा विशेष मसला हो, या सामान्य व्यापार का मसला हो।
दक्षिण कोरिया के सियोल में एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) की ओर से आयोजित एक सेमीनार में सीतारमण ने कहा कि डब्ल्यूटीओ को खुले दिमाग से कृषि सब्सिडी पर विचार करने की जरूरत है, क्योंकि इससे खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है। वित्त मंत्री इस समय एडीबी की सालाना बैठक में हिस्सा लेने के लिए सियोल में हैं।
जबसे डब्ल्यूटीओ की स्थापना हुई है, कृषि उत्पादों के निर्यात और आम तौर पर व्यापार को लेकर शिकायत रही है कि ग्लोबल साउथ और उभरते बाजार वाले देशों की आवाज को विकसित देशों की बराबरी में नहीं सुना गया। उन्होंने कहा, ‘विकासशील देशों में कृषि और गरीब किसानों के लिए सब्सिडी अहम है। उसका बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया और इसे बंद कर दिया गया। कोविड और रूस यूक्रेन के बीच चल रहे टकराव को देखते हुए खाद्य और उर्वरक सुरक्षा महत्त्वपूर्ण हो गई है।
डब्ल्यूटीओ को खुले दिमाग से खाद्य और उर्वरक सब्सिडी पर फिर से बात करनी होगी।’खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में, सीतारमण ने विकसित देशों की तुलना में उभरते बाजारों के साथ व्यवहार में असमानता को लेकर चिंता जताई।
उनके मुताबिक विश्व व्यापार संगठन के व्यापार समझौते एकतरफा हो गए हैं, जिसके लिए समाधान खोजना होगा।