सफलता की कहानी:चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी

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 प्रगतिशील किसान अजय स्वामी एलोवेरा समेत कई फसलों की सफल खेती और प्रोसेसिंग करते हैं जिससे प्रति महीने एक से डेढ़ लाख रुपये तक का मुनाफा कमाते हैं. शुरूआती दौर में अजय स्वामी चाय की दुकान चलाते थे लेकिन अपनी काबिलियत की बदौलत एक चायवाला से कृषि उद्यमी बन चुके हैं..

 सफलता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करना बेहद जरुरी है क्योंकि सफलता भी उन्हीं लोगों को पसंद करती है जो लोग परिश्रम करने से नहीं डरते और वक्त की अहमियत को समझते हुए आगे बढ़ते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान अजय स्वामी की भी है. अजय स्वामी पिछले 20 सालों से हनुमानगढ़ जिले में एलोवेरा समेत कई फसलों की सफल खेती और प्रोसेसिंग करते हैं जिससे एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति महीने मुनाफा कमाते हैं. अगर शिक्षा की बात करें तो उनकी पढ़ाई आठवीं तक हुई है. उनके पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था जिस वजह से काफी छोटी उम्र में ही उन पर जिम्मेदारियां आ गईं थी.

उनके पास कोई आर्थिक संसाधन नहीं थे इस वजह से उन्हें बचपन से ही काम करना पड़ा. इस दौरान उनको कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं माना. ऐसे में आइए अजय स्वामी की चायवाला से कृषि उद्यमी बनने तक की सफ़र के बारे में जानते हैं-

एलोवेरा की खेती करना किया शुरू

प्रगतिशील किसान अजय स्वामी ने बताया कि उन्होंने शुरूआती दौर में चाय की दुकान चलाई और कुछ साल भी नौकरी की. फिर वह कृषि क्षेत्र में आ गए और एलोवेरा समेत अन्य फसलों की सफल खेती करने लगे. उन्होंने बताया कि वह खेती में कुछ नया करना चाहते थे जिससे की कम लागत, कम समय और कम सिंचाई में अच्छी उपज मिले. इसी दौरान उन्हें एलोवेरा की खेती के बारे में पता चला जोकि कम पानी में भी जीवित रहता है यानी पानी के अभाव में भी जल्दी सूखता नहीं है. एलोवेरा का पौधा एक बार लगाने के बाद तीन से चार सालों तक बिना पानी के भी खड़ा रह सकता है. 

अजय स्वामी के मुताबिक उनके यहां खेती के दौरान जो सबसे बड़ी समस्या आती है वह सिंचाई के लिए पानी की कमी क्योंकि उनका गांव सूखाग्रस्त क्षेत्रों में आता है. इसलिए उन्हें एलोवेरा की खेती करना फायदे का सौदा लगा.

जैविक विधि से एलोवेरा की खेती

अजय स्वामी ने बताया कि उनके पास पहले सिर्फ दो बीघा जमीन थी. हालांकि, एलोवेरा की खेती से होने वाली आमदनी से उन्होंने 25 बीघा और कृषि योग्य जमीन को खरीदा है उनके पास फिलहाल 27 बीघा कृषि योग्य जमीन है जिसमें वह जैविक विधि से एलोवेरा अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं. एलोवेरा की फसल में वह गोबर की खाद डालते हैं क्योंकि इसमें केमिकल फर्टिलाइजर नहीं डाला जाता है. वह एलोवेरा की बारबाडेंसिस किस्म की खेती करते हैं. वही अजय स्वामी ड्रिप इरिगेशन के जरिए अपनी अन्य फसलों की सिंचाई करते हैं.

कृषि उद्यमी बने अजय स्वामी

अजय स्वामी ने बताया कि खेती के साथ-साथ आगे चलकर वह एलोवेरा की प्रोसेसिंग कर उत्पाद बनाने लगे. जब उन्होंने एलोवेरा प्रोसेसिंग की शुरुआत की थी तब उनके पास एक छोटा-सा मिक्सर ग्राइंडर था जिससे वह जूस बनाते थे. लेकिन अब इसी काम के लिए उनके पास कई बड़ी मशीनें हैं. उन्होंने बताया कि वह 30 से 40 प्रकार के उत्पाद मौजूद वक्त में बना रहे हैं, जैसे- एलोवेरा के लड्डू, जूस, साबुन, क्रीम, एलोवेरा जेल, च्यवनप्राश, नमकीन और बिस्किट आदि. इन उत्पादों को वह अपने ब्रांड स्वामी जी के नाम से बेचते हैं. उन्होंने बताया कि वह सभी उत्पाद ऑफलाइन बेचते हैं.

दिल्ली से गंगानगर हाईवे रोड पर उनकी एक दुकान है जहां, ये सारे उत्पाद तैयार किए जाते हैं. इसके अलावा वह कई कंपनियों को भी अपना एलोवेरा बेचते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक लुधियाना, दिल्ली, चंडीगढ़ और अंबाला की 15 से 20 कंपनियां उनसे एलोवेरा खरीद चुकी हैं.

कई चुनौतियों का करना पड़ा सामना

उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. क्योंकि उन्हें इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था. वह नहीं जानते थे कि एलोवेरा का प्रोसेस कैसे किया जाता है. इससे उत्पाद कैसे तैयार किए जाते हैं. लेकिन उन्होंने हार नहीं माना और एलोवेरा प्रोसेस करने वाली कंपनियों में जाकर इसकी जानकारी हासिल किए. उन्होंने बाकायदा इसका प्रशिक्षण लिया और फिर खुद उत्पाद बनाने लगे. किसान अजय स्वामी ने बताया कि उन्होंने इसमें एक्सपेरिमेंट भी किया और खुद के कई उत्पाद तैयार किए. जिन्हें वह सफल तरीके से आज बाजार में बेच रहे हैं.

बारिश होने पर एलोवेरा की मिलती है अच्छी उपज

अजय स्वामी ने बताया कि एलोवेरा की अच्छी उपज बारिश पर निर्भर होती है. अगर अच्छी बारिश होती है तो इसकी उपज भी अच्छी होती है.

बारिश अच्छी होने पर एलोवेरा की तुड़ाई साल में दो बार की जा सकती है जबकि बारिश अच्छी नहीं होने पर सिर्फ एक बार ही फसल निकाल पाती है. वही जब बारिश नहीं होती और मौसम शुष्क रहता है तो उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसी वजह से वह ड्रिप सिस्टम के जरिए पौधों की सिंचाई करते हैं.

एलोवेरा की सफल खेती कब करें?

उन्होंने बताया कि एलोवेरा की खेती के लिए अगस्त का महीना सबसे उचित रहता है और एक से डेढ़ साल में इसकी पहली फसल तैयार हो जाती है. अगर पानी की अच्छी व्यवस्था है तो पहली फसल एक में ही तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि एलोवेरा एक ऐसी फसल है जिसकी एक बार खेती करके सालों साल कमाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इसकी एक पत्ती का वजह 400 से 500 ग्राम तक होता है और एक बीघा में तकरीबन 200 क्विंटल तक उत्पादन हो जाता है.

किसान अपने उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री खुद करें

प्रगतिशील किसान अजय स्वामी ने कृषि जागरण के माध्यम से बताया कि किसानों को यह समझने की जरूरत है कि अपने उत्पादों की मार्केटिंग और उसकी बिक्री कैसे करें.

ज्यादातर किसान देश के अलग-अलग मंडियों में जाकर अपनी फसल और उत्पाद को बेचते हैं जबकि बिचौलियों की वजह से उन्हें अपनी उपज का वाजिब कीमत नहीं मिल पाता है. ऐसे परिस्थिति में किसानों खुद ही अपनी उपज का प्रोसेसिंग कर अपने घरों में उत्पाद तैयार कर इनकी बिक्री कर सकते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा उन्हें मुनाफा मिल सके. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी. साथ ही वह आत्मनिर्भर बनेंगे.