खरीफ मौसम के दौरान बरसात के साथ ही खेती में किसानों के लिए नई चुनौतियां आ जाती हैं. उन्हें अपनी फसलों को कई प्रकार की बीमारियों, कीटों और खरपतवारों से बचाने के लिए सतर्क रहना पड़ता है. खरीफ मौसम में फसलों पर जीवाणु, कीट और अन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है. इन कीट, रोगों से सॉयल सोलराईजेशन की प्रक्रिया के जरिये छुटकारा पा सकते हैं.
धान एक ऐसी फसल है जिसमें सबसे अधिक रोग, बीमारियों और खरपतवार की समस्या आती है. अधिकांश किसान पहले नर्सरी में पौधे उगाते हैं, फिर छोटे छोटे पौधों को खेत में रोपते हैं. नर्सरी में अधिक लगने वाले रोग भूमि जनित होते हैं. अक्सर किसानों को बोई गई फसलों की नर्सरी में भूमि जनित कीट, रोग और खरपतवार से नुकसान होता है. ये भूमि जनित कीट, रोग और निमैटोड खेत की मिट्टी में पहले से ही मौजूद होते हैं. अनुकूल मौसम मिलते ही खेत में लगी फसलों को क्षति पहुंचाते हैं. जब ये छिपे हुए कीट रोग फसल पर हमला करते हैं, तब तक जानकारी हो जाती है और फिर रासायनिक कीटनाशक और पेस्टिसाइड का उपयोग किया जाता है. लेकिन इससे पहले ही बहुत हिस्सा का नुकसान हो जाता है. खरीफ में बोई जाने वाली फसलों को इन रोगों, कीटों और खरपतवारों से बचाने के लिए लोग सॉयल सोलराइजेशन (मृदा सौरीकरण) का इस्तेमाल कर सकते हैं. कम लागत में फसल बोने के पहले ही रोग, कीटों से छुटकारा पा सकते हैं.
फसल के दुश्मनों को पहले ही निपटाएं
कृषि विज्ञान केंद्र, नरकटियागंज, पश्चिम चंपारण, बिहार में हेड और पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया कि फसल तब अच्छी मिलती है जब नर्सरी के पौधे सही और स्वस्थ हों. नर्सरी में अधिकांश रोग बीजजनित और भूमि जनित होते हैं. आज के समय में बीज से फैलने वाले रोगों से लोगों को बहुत हद तक छुटकारा मिल चुका है. हालांकि, कीटों, जमीन के अंदर छिपे हानिकारक कीटों के अंडे, प्यूपा और निमैटोड फसलों के लिए आज भी बड़ी समस्या हैं, जो खेतों में मौका मिलते ही तेजी से फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. लेकिन किसान अपने स्तर पर थोड़ी सी सूझबूझ से सॉयल सोलराइजेशन यानी मृदा सौरीकरण करें, तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है.
पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. सिंह ने बताया कि मृदा सौरीकरण वही है जैसे हम बीज लगाने से पहले बीजों का उपचार करने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाओं का उपयोग करते हैं. ठीक उसी तरह, बोई जाने वाली फसल की जगह का उपचार एक विशेष तकनीक से किया जाता है, जिसे मृदा सौरीकरण कहा जाता है. इस तकनीक से मिट्टी में पहले से मौजूद कीट-रोग, निमैटोड, जीवांश और खरपतवार का नाश हो जाता है. इससे बोई जाने वाली फसल कीट-रोगों से मुक्त रहती है और उच्च उत्पादकता को प्राप्त करती है. मृदा सौरीकरण के लिए लंबे दिनों तक वातावरण में गर्मी होनी चाहिए. जब तेज धूप और तापमान 40 सेंटीग्रेड से लेकर 45 सेंटीग्रेड हो, तब सॉयल सोलराइजेशन करना उचित होता है. इसके लिए मई-जून का महीना सबसे सही होता है.
कैसे करें सॉयल सोलराइजेशन?
डॉ आर. पी सिंह ने कहा कि मृदा सौरीकरण के लिए खेतों में बोई जाने वाली फसल की जगह को पौध रोपण या बीज की बुवाई से 4-6 सप्ताह पहले छोटी-छोटी क्यारियों में बांट लेते हैं. इन क्यारियों को 200 गेज की पारदर्शी प्लास्टिक से ढक दिया जाता है. इसके बाद प्लास्टिक के किनारों को मिट्टी से ठीक तरह से दबा दिया जाता है, जिससे बाहर की हवा अंदर प्रवेश न कर पाए. इसे एक से दो महीने तक छोड़ दिया जाता है. इस प्रकिया से ढकी प्लास्टिक के अंदर जगह का तापमान बढ़ जाता है जिससे मिट्टी में पहले से मौजूद रोगों के रोगजनक हानिकारक कीटों के अंडे, प्यूपा, निमैटोड और कुछ खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं. इस तरह भूमि में बिना किसी रसायन के उपयोग किेए भूमि को उपचारित कर भूमि जनित कीट रोगों और खरपतवारों से छुटकारा मिल जाता है.
यह विधि धान सहित सब्जियों और फलों की पौधशाला में लगने वाले रोगों और कीटों के बचाव के लिए अधिक लाभकारी सिद्ध हुई है. मृदा सौरीकरण में कुछ मुख्य बातों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे-खेत साफ सुथरा हो, फसल अवशेष न हो, पॉलीथीन से ढकने से पूर्व मिट्टी को पलटकर समतल और भुरभुरा बना लें. ढकने से 1-4 दिन पूर्व हल्की सिंचाई कर दें, पॉलीथीन चादर के किनारों को अच्छी प्रकार से मिट्टी से ढंक दें, जिससे नमी और ऊष्मा का ह्रास हो सके.
कम लागत में कीट से छुटकारा
कृषि वैज्ञानिक डॉ सिंह के अनुसार, इस तरह के मृदा सौरीकरण में शायद समय ज्यादा लगता हो, लेकिन इससे मिट्टी में पड़े सभी कीट और रोगजनक नष्ट हो जाते हैं. साथ ही आपको फसल से क्वालिटी वाली अच्छी उपज भी मिलती है. दूसरी तरफ, रासायनिक दवाओं की तुलना में मृदा सौरीकरण में कम खर्च आता है. इस तरह, आप भी अपनी नर्सरी में पौधे उगाने वाली जमीन को बीजों की बुवाई के पहले मृदा सौरीकरण करें. इससे बिना हानिकारक पेस्टिसाइड का इस्तेमाल किए ही फसल को कीट और रोगों से मुक्त कर सकते हैं. आप इससे हेल्दी नर्सरी के पौधे पा सकते हैं.
इस तरह, सॉयल सोलराइजेशन में थोड़ा समय ज्यादा लगता है. लेकिन इसमें मिट्टी में पड़े सभी कीट और रोग नष्ट हो जाते हैं. दूसरी तरफ, केमिकल दवाओं की तुलना में सॉयल सोलराइजेशन में में कम खर्च आता है. आप भी पॉलीहाउस में फसल लगाने से पहले मिट्टी का सोलराइजेशन करें और कीट और रोगों से मुक्त फसल प्राप्त करें. सौरीकरण से नर्सरी में खरपतवार नष्ट होने से वायु का आवागमन बढ़ता है.
बीज का भी सौरीकरण करें
सौर ऊर्जा के जरिये बीज सौरीकरण करके बीज जनित बीमारियों जैसे की धान में कंंडुआ रोग, गेहूं का झुलसा रोग, धान का जीवाणु झुलसा, धान का सफेद टिप पत्ती रोग, धान का अफरा रोग खत्म कर सकते हैं. इसके लिए मई-जून के महीने में जब कड़ी धूप हो तो फर्श पर बीज को अच्छी तरह सुखाकर रखें. इससे पराने बीज में उपस्थित रोगों के रोगजनक खत्म हो जाते हैं. सौर ऊर्जा के उपयोग से लाभ यह होता है कि जहरीले और असंतुलित रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न पर्यावरणीय और मानवीय समस्याओं से छुटकारा मिलता है.