भारतीय बकरी की टॉप 7 नस्लें और उनकी अनूठी विशेषताएं

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देश के लगभग सभी हिस्सों में बकरी पालनकिया जाता है. वही भारत में कई प्रकार की स्वदेशी बकरी नस्लें पाई जाती हैं. ऐसे में आइए आज टॉप 7 भारतीय बकरी की नस्लों, उनके अनूठी विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताते हैं-

बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर बाजार आसानी से मिल जाता है जिस वजह से बकरी पालन करने वाले किसानों को मार्केटिंग में कोई दिक्कत नहीं होती है. यही वजह है कि देश के लगभग सभी हिस्सों में बकरी पालन/Goat Farming किया जाता है. वही भारत में कई प्रकार की स्वदेशी बकरी नस्लें/Indian Goat Breeds पाई जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अलग-अलग अनूठी विशेषताएं हैं जो उन्हें देश की विभिन्न जलवायु परिस्थितियों और कृषि की जरूरतों के लिए उपयुक्त बनाती हैं. इसके अलावा देश में बकरी को गरीबों की गाय भी कहा जाता है. वजह स्पष्ट है बकरी पालन आसानी से किया जा सकता है. बकरियां आकार में छोटी होती हैं और इनके खानपान पर भी अधिक खर्च नहीं आता. इसलिए कोई गरीब व्यक्ति भी आसानी से बकरी को पालन कर लेता है.

ऐसे में अगर आप बकरी पालन करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आज हम आपको टॉप 7 भारतीय बकरी की नस्लें और उनकी अनूठी विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताएंगे-

टॉप 7 भारतीय बकरी की नस्लें

देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न भारतीय बकरी की नस्लें पाई जाती हैं. ऐसे में आइए आज टॉप 7 भारतीय बकरी की नस्लों/ Top 7 Indian Goat Breeds, उनके गुणों और विशिष्ट लक्षणों के बारे में जानते हैं-

जमनापारी बकरी/Jamnapari Goat
जमनापारी बकरी

जमनापारी बकरी

जमनापारी बकरी को ‘बकरियों की रानी’ भी कहा जाता है. यह बकरी देश के कई हिस्सों में पाई जाती है. वही जमनापारी नस्ल विशेष रूप से उच्च दूध उपज क्षमता, अपने बड़े आकार और लंबे, लटकते कानों के लिए जानी जाती है. जमनापारी बकरी का उपयोग मांस उत्पादन के लिए भी किया जाता है. इनका शरीर आमतौर पर भूरे या काले धब्बों के साथ सफेद रंग का होता है.

बीटल बकरी/Beetal Goat
बीटल बकरी

बीटल बकरी

पंजाब से उत्पन्न, बीटल बकरी एक भारतीय नस्ल की बकरी है जो दूध और मांस उत्पादन के लिए इस्तेमाल की जाती है. बीटल बकरी का आकर बड़ा होता है. दरअसल यह 36 इंच तक लंबी होती है. शरीर पर छोटा कोट होता है, जो आमतौर पर काले या भूरे रंग का होता है, जिसमें सफेद धब्बे होते हैं. बीटल बकरी के लंबे, लटकते कान और बड़े आकर की वजह से आसानी से पहचाना जा सकता है.

सिरोही बकरी/Sirohi Goat
सिरोही बकरी

सिरोही बकरी

सिरोही नस्ल राजस्थान के सिरोही जिले से आती है लेकिन गुजरात में भी व्यापक रूप से पाई जाती है. ये बकरियां मध्यम से बड़े आकार की होती हैं और अपने मजबूत शरीर और अच्छी मांस गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं. उनके शरीर पर हल्के या गहरे भूरे रंग के धब्बों के साथ मुख्य रूप से भूरे रंग का कोट होता है. सिरोही बकरियों की एक अनूठी विशेषता यह है कि ये बकरियां सूखी, झाड़ीदार वनस्पतियों को खाकर भी रह लेती हैं, जो उन्हें शुष्क क्षेत्रों के लिए आदर्श बनाती है.

उस्मानाबादी बकरी/Osmanabadi Goat
उस्मानाबादी बकरी

उस्मानाबादी बकरी

उस्मानाबादी बकरी महाराष्ट्र राज्य की मूल निवासी है, लेकिन पूरे मध्य भारत में पाई जा सकती है. ये बकरियां विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के प्रति अपनी अनुकूलन क्षमता के लिए जानी जाती हैं और इन्हें मुख्य रूप से मांस उत्पादन के लिए पाला जाता है, हालांकि ये अच्छी मात्रा में दूध भी देती हैं. कम रखरखाव से भी इनका पालन आसानी से किया जा सकता है.

ब्लैक बंगाल बकरी/Black Bengal Goat
ब्लैक बंगाल बकरी

ब्लैक बंगाल बकरी

ब्लैक बंगाल बकरी एक छोटी लेकिन एक अच्छी नस्ल है, जो अपने उत्कृष्ट मांस की गुणवत्ता के लिए जानी जाती है. जैसा कि नाम से पता चलता है, इस नस्ल की बकरियां मुख्य रूप से बंगाल में पाई  जाती हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता का मतलब है कि अब ब्लैक बंगाल बकरी पूरे भारत में पाली जाती है. ब्लैक बंगाल बकरी के शरीर पर एक छोटा, चमकदार काला कोट होता है, हालांकि कुछ भूरे या सफेद रंग के हो सकते हैं. ब्लैक बंगाल बकरी अपनी उच्च प्रजनन दर और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी जानी जाती है.

बरबरी बकरी/Barbari Goat

बरबरी बकरी

बारबरी बकरी एक छोटी डेयरी नस्ल है जो मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश और पंजाब में पाई जाती है. इस नस्ल की बकरियों का छोटे, उभरे हुए कानों के साथ एक कॉम्पैक्ट शरीर होता है. कोट का रंग सफेद से लेकर भूरे, भूरे और काले रंग के धब्बों तक भिन्न होता है. बरबरी बकरी अपने आकार की तुलना में अधिक दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है और इन्हें मांस उत्पादन के लिए भी पाला जाता है.

मालाबारी बकरी/Malabari Goat
मालाबारी बकरी

मालाबारी बकरी

मालाबारी बकरी की नस्ल भारत के उत्तरी केरल की मूल निवासी है. शरीर पर कोट का रंग सफेद, काले, भूरे रंग के धब्बों तक भिन्न होता है. बकरा का वजन आमतौर पर लगभग 40 किलोग्राम होता है, जबकि बकरियों का वजन लगभग 30 किलोग्राम होता है. अपनी अच्छी त्वचा की गुणवत्ता के लिए जानी जाने वाली मालाबारी बकरियां प्रतिदिन औसतन 0.9-2.8 किलोग्राम दूध देती हैं.