भिंडी की फसल की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी

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भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है? : हमारे कई किसान भाई ने इस समय भिंडी की फसल की है, पर भिंडी की फसल में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान को कई बातो का ध्यान रखना है। जब भिंडी की फसल में कोई रोग लग जाता है तब किसान को बहुत कम उत्पादन प्राप्त होता है। और किसान को बहुत नुकशान होता है।

सभी सब्जीवर्गी फसल में भिंडी का स्थान एक अलग ही है। भिंडी की खेती बारिश के दिनों में भी की जाती है और इस समय भी भिंडी की खेती से किसान अच्छी कमाई करते है। भिंडी की बाजारी मांग मौसम के अनुसार अधिक रहती है। इसी लिए किसान को भिंडी का मार्केट भाव अधिक मिलता है और बंपर कमाई के साथ मुनाफा होता है।

भिंडी की फसल में कई बार कुछ गंभीर रोग लग जाते है इस लिए इन की पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर बुरी असर पड़ती है। और इस रोग का नियंत्रण जल्द से जल्द नहीं किया जाए तब किसान को बहुत नुकशान होता है। पर हमारे कुछ कृषि एक्सपर्ट और प्रगतिशील किसान भाई ने भिंडी की फसल में रोग नियंत्रण की उच्च दवाई के बारें में जानकारी दी है जिन से किसान को अच्छा रिजल्ट भी मिला है। और अधिक उत्पादन प्राप्त होने से किसान को कमाई भी अधिक हो रही है।

भिंडी की फसल में गंभीर बीमारी पीला शिरा मोजेक रोग, जड़ गलन, सफेद मक्खी, हरा तेला, फल छेदक सूंडी, इन सभी रोग और किट का अटैक होने से तुरंत किसान को योग्य दवाई का छिड़काव कर के इन सभी रोग और कीट का नियंत्रण करना चाहिए। नहीं तो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में बहुत फर्क दिखाई देता है और किसान को बड़ा नुकशान हो जाता है।

भिंडी की फसल में पीला शिरा मोजेक रोग सब से भयंकर रोग है। भिड़ी के पौधे पर जब यह रोग लगता है तब पतिया की सिराए पीली पड़ जाती है। या तो पतिया पीली चितकबरी दिखाई देती है। और इस रोग का फैलाव सफेद मिक्खी से होता है। इन के प्रकोप से पौधे के पतों और फलिया भी छोटी और पीले रंग की हो जाती है। और उत्पादन भी बहुत कम प्राप्त होता है।

जब इस रोग का प्रकोप कड़ी भिंडी की फसल में दिखाई दे तब आप इस रोग से ग्रसित पौधे की फसल से बाजार निकाले और मिट्टी में अच्छे से दबा देना चाहिए। इन के अलावा आप फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए किसान फेरोमोन ट्रैप का भी प्रयोग कर शकता है।

पीला शिरा मोजेक के नियंत्रण के लिए किसान को पहले सफेद मक्खी का नियंत्रण करना बेहद जरुरी है। सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए आप मैटासिस्टॉक्स (0.1 प्रतिशत) की सही मात्रा अच्छे से पानी में मिला के छिड़काव करें। इन का छिड़काव किसान भिंडी के पौधे उगने के बाद से ही 10-12 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए. इन के अलावा आप सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए आप मैलाथियान 50 ई.सी. को 300 से 500 मिली नाम को 200-300 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर एक एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें.

भिंडी की फसल में जड़ गलन, हरा तेला रोग का नियंत्रण के लिए आप कार्बेंडाजिम/ कापर ऑक्सी क्लोराइड की सही मात्रा अच्छे से पानी में मिला के छिड़काव कर शकते है और इन रोग का नियंत्रण कर के फसल को बर्बाद होने से बचा शकते है। फल छेदक कीट से भी भिंडी की फसल में बहुत नुकशान होता है। यह फलों में छेद कर देते है और धीरे धीरे फली को खा जाता है। इन के नियंत्रण के लिए आप थायोडान 0.2% का योग्य नाप लेकर अच्छे से पानी में मिला के इन को 10 दिन के अंतर में छिड़काव करें।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है? और इन बीमारी या रोग का नियंत्रण कैसे करें और भिंडी की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करें इन सभी बातो पर अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे। इस लिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक बने रहे।

आज के इस आर्टिकल में हम ने आप को भिंडी की सबसे गंभीर बीमारी कौन सी है? इन के बारे में अच्छी जानकारी बताई है। यह आर्टिकल आप को सेम की खेती के लिए बहुत हेल्फ फूल होगा और यह आर्टिकल आप को पसंद भी आया होगा ऐसी हम उम्मीद रखते है। और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा किसान भाई और अपने मित्रो को शेयर करे।

हमारे इस ब्लॉग agroindianews.com पर हर हमेेश किसान को खेती की विविध फसल के उन्नत बीज से लेकर उत्पादन और इन से होने वाली कमाई और मुनाफा तक की सारी बात बताई जाती है। इन के अलावा जो किसान के हित में सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली विविध योजना और खेती के नई तौर तरीके के बारे में भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा।