क्या है ज्योतिष में महालक्ष्मी योग

0
231

पूजा अग्निहोत्री दूबे

किसी भी जातक की जन्मपत्रिका मे चंद्र एवं मंगल की युति महालक्ष्मी योग का निर्माण करती है जिस किसी जातक या जातिका की कुंडली मे यह योग उपस्थित होता है, उसे जीवन मे कभी भी धन का अभाव नहीं होता जब जन्मकुंडली के किसी भी भाव मे चंद्र एवं मंगल एक साथ विद्यमान होते है तब इस योग का निर्माण होता है यदि जातक की कुंडली मे यह योग केंद्र या मूल त्रिकोण मे होता है तब यह अधिक प्रभावशाली हो जाता है।

यदि केंद्र या मूल त्रिकोण मे चंद्र या मंगल मे से किसी ग्रह की स्तिथि स्वच्छे त्री, मित्रच्छेत्री, अथवा उच्च की हो तब व्यक्ति को महालक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। यदि जन्मपत्रिका के चतुर्थ भाव मे स्वच्छेत्री चंद्र एवं दसम भाव मे उच्च का मंगल स्थित हो अथवा किसी भी प्रकार से चंद्र एवं मंगल का दृष्टि सम्बन्ध बन रहा हो तब भी व्यक्ति को उसके जीवन मे धन की समस्या कभी नहीं होती जीवन मे महालक्ष्मी की कृपा अत्यंत ही आवश्यक है श्री रामचरित मानस की निम्न चौपाइ यों का पाठ यदि नियमित रूप से किया जाये तब महालक्ष्मी योग अत्यंत ही बलवान हो जाता है ।

रिद्धि सिद्धि सम्पति नदी सुहाई , उमगि अबध अंबुधि कंहू आई ,

जिमि सरिता सागर महूँ जाहीं, जद्दपि ताहि कामना नाहीं , तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाए

, धर्मशील पहि जाहि सुभाए, जे सकाम नर सुनहि जे गावही, सुख संपत्ति नाना विधी पावही