बीज प्रमाणीकरण सस्था द्वारा बीज उत्पादक के लिए प्रमाण पत्र की अनिवार्यता लागू की गई है । इस प्रक्रिया को इतना जटिल बनाया गया है की जिसका ना तो पालन संभव है और ना ही यह व्यावहारिक है। इससे किसान बीज उत्पादक और संस्थाएं सभी परेशान होगी, साथ ही जिन अधिकारियों को गहाई प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया है उन पर भी अनावश्यक कार्य बोझ बड़ाया जा रहा है। बीज प्रमाणीकरण संस्था की कार्यप्रणाली के बिंदु क्रमांक 13 – 10 के अनुसार गहाई प्रमाण पत्र की व्यवस्था लागू की गई है , जिसके अनुसार संस्था ने प्रावधान किया है कि उन्ही फसलों का उत्पादन जो प्रक्षेत्र निरीक्षण स्तर पर प्रमाणीकरण योग्य मानी गई है ,बीज प्रक्रिया हेतु भेजा जाए । इस व्यवस्था अंतर्गत राज्य शासन द्वारा भविष्य में निर्धारण नीति निर्देशानुसार उक्त की पुष्टि हेतु क्षेत्रीय अधिकृत शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों और अन्य नामांकित, जैसे कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, पटवारी, राजस्व निरीक्षक आदि द्वारा निर्धारित प्रमाण पत्र के साथ ही उत्पादित बीज मात्रा मोहर बंद की जा सकगी। प्रक्रिया केन्द्र पर सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी द्वारा संबंधित जानकारी अभिलेखित की जावेगी।
बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा किए गए इस प्रावधान को लेकर जब किसानों से चर्चा की गई तो उन्होंने इसे न केवल अव्यावहारिक बल्कि औचित्यहीन भी बताया किसानों का कहना था कि बीज उत्पादन हेतु अलग-अलग ग्रामों के कृषकों द्वारा पंजीयन कराया जाता है। जिससे गांव की संख्या बहुत अधिक हो जाती है। सभी जगह बौनी का समय भी अलग-अलग होता है तथा उसी अनुसार फसल की कटाई भी होती है। फसलों की गहाई अधिकतर खेतों में कृषकों के पास उपलब्ध संसाधनों जैसे मजदूर, थ्रेसर, मौसम ,त्यौहार आदि पर निर्भर रहता है । जिसको जब जैसा समय मिलता है तब वह अपनी फसल की कटाई करता है । इसके चलते एक तिथि वार कार्यक्रम बनाया जाना संभव नहीं है।
अधिकारी स्तर पर भी परेशानियां
गहाई प्रमाण पत्र के लिए जो प्रावधान किए गए हैं उससे अधिकारी स्तर पर भी कई परेशानियां उत्पन्न होने की आशंका है । एक सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी द्वारा कम से कम 500 हेक्टेयर क्षेत्र का फसल निरीक्षण किया जाता है । जिसमें डेढ़ सौ से 200 कृषक सम्मिलित होते हैं । गहाई का तिथि वार कार्यक्रम निर्धारित न होने के कारण प्रत्येक कृषक के खेतों पर गहाई के समय उपस्थित होना और गहाई के समय उपस्थित होकर गहाई प्रमाण पत्र देना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है ।
बीज प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना के समय ही यह निश्चित किया गया था कि बीज उत्पादन एवं प्रमाणीकरण का कार्य कृषक, बीज उत्पादक संस्थाएं, केंद्रीय/ राज्य स्तरीय अनुसंधान संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि विभाग के सहयोग से पूरा किया जाएगा ।
इन सभी के सहयोग एवं बीज प्रमाणीकरण संस्था की कार्य प्रणाली के अनुसार कृषकों के फसल पंजीयन, निरीक्षण, उपार्जन, संसाधन, नमूनाकरण, पैकिंग का कार्य बीज उत्पादक संस्थाएं द्वारा सुचारू रूप से संपादित किया जाता है ।
ऐसे में यह बात स्पष्ट है कि गहाई प्रमाण पत्र का प्रावधान ना तो प्रासंगिक है और ना ही व्यवहारिक । इससे बीज उत्पादक किसानों, बीज प्रक्रिया सस्थाओं तथा शासकीय स्तर पर नियुक्त अधिकारियों को भी
परेशानी का सामना करना पड़ेगा अतः ज़रूरी है कि बीज प्रमाणीकरण संस्था अपने इस प्रावधान पर फिर से विचार करें ।