राजस्थान के नागौर जिले का खींवसर क्षेत्र विशेष रूप से एक रेतीला (बंजर ज़मीन) क्षेत्र है, जहां खेती करना काफी मुश्किल है। यहां अलग-अलग प्रकार की मिट्टियां मिलती हैं, लेकिन किसानों ने इस ज़मीन में मेहनत करके कई तरह की फसलें, फूल, फल, और पौधे उगाई हैं।
इन्हें मंडी तक पहुंचाने के लिए उन्हें बहुत सी मुश्किलें भी आती हैं। किसान लिखमाराम मेघवाल ने अपने खेतों में ताइवानी पिंक अमरूद को उगाने का निर्णय लिया।
बंजर ज़मीन पर भी सब्जियां उगाई जा रही
खेती और किसानी में नई तकनीकें आ रही हैं, इन तकनीकों के प्रयोग से अब वे क्षेत्र भी खेती के लिए उपयुक्त हो रहे हैं, जहां पहले इसे करना मुश्किल था। रेगिस्तान में भी अब आम की फसल उगाई जा रही है और बंजर ज़मीन पर भी सब्जियां उगाई रही हैं।इसी तरह, राजस्थान के नागौर ज़िले में भी ऐसा कुछ हो रहा है। यहां के किसान लिखमाराम मेघवाल ने अपने खेतों में ताइवानी पिंक अमरूद उगाने का काम किया है।
लखनऊ से मंगवाए अमरूद के पौधे
लिखमाराम ने बताया कि उन्होंने…..
- ताइवान पिंक अमरूद के पौधे लखनऊ से मंगवाए थे और
- उन्होंने जैविक खाद का इस्तेमाल करके उन्हें अपने खेतों में लगाया।
- साथ ही, उन्होंने खेतों को केंचुए से बनी वर्मी कंपोस्ट से भी सुधारा।
- उन्होंने समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली और
- उनके मार्गदर्शन में उनके पौधे बहुत बड़े हो गए और उनमें फल भी आना शुरू हो गया है।
- क्या तरीका अपनाया ?
किसान लिखमाराम मेघवाल ने साझा किया कि उन्होंने अपने पौधों को 5*6 का इंटरवल दिया है, जिससे जब वे बड़े होते हैं, तो एक दूसरे से टकराते नहीं हैं।पिछले साल, उनके अमरूद के पौधों से प्रति पौधा 3 किलो उत्पादन हुआ था, और इस बार उन्हें उम्मीद है कि वह 10 किलो प्रति पौधा उत्पादन करेंगे।
यूट्यूब से प्राप्त की खेती की जानकारी
किसान लिखमाराम मेघवाल बता रहे हैं कि जब कोरोना के वक्त लॉकडाउन था, तो उन्हें यूट्यूब के माध्यम से ताइवान पिंक अमरूद की खेती के बारे में मालूमात मिली।
प्रति पौधे 3 किलो अमरूद हासिल
उन्होंने यहां से इस किस्म की अमरूद की खेती के बारे में सारी जानकारी प्राप्त की। पहले उन्होंने 200 पौधे लगाए, जिनमें से 150 पौधे स्वस्थ रहे। यहां, 50 पौधे खराब हो गए।
इन 150 पेड़ों की पहली उपज में प्रति पौधे 3 किलो अमरूद हासिल हुआ।