फसल का उचित मूल्य दिलाने व कर्जमाफी की अपेक्षाएं रखे हुए ग्रामीण व किसान

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चुनावी सरगर्मियां बढ़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्र के किसानों से उनके मन की बात जानने की कोशिश की। इस चर्चा में ग्रामीण व किसान नई सरकार से बिजली समस्या हल कराने, सड़क-नाली बनवाने, फसल का उचित मूल्य दिलाने व कर्जमाफी की अपेक्षाएं रखे हुए हैं। वहीं किसान मौसम की मार में प्रभावित फसलों के कारण कर्ज अदायगी में होने वाली समस्या को भी प्रमुखता पर रखा है। कुछ किसानों ने भ्रष्टाचार की समस्याओं को प्रमुख एजेंडा बताया तो किसी ने सिंचाई संसाधन के विस्तार और कृषि के व्यापार को फायदे से जोड़ने वाली सरकार बनाने पर अपनी प्राथमिकताएं बनाईं।

ग्रामीणों ने बताई अपने मन की बात

-किसान परेशान है, मंडी में किसानों को सही भाव नहीं मिल रहा है। हमारे गांव में 15 दिनों से डीपी जली पड़ी है, कई बार बुलाने पर जब लाइनमैन आते है तो संसाधनों की कमी बताकर चले जाते हैं। बार-बार बुलाने पर लाइनमेन को रुपए देने पड़ते हैं। पर्याप्त लाइट नहीं मिलने के कारण वह धान की फसल में पानी दे पाए थे, जिससे धान की फसल सूख गई थी और अब पलेवा के लिए समस्या हो रही है। साथ ही गांव में स्टाप डैम बरसात में टूट गया था, लेकिन अब तक डेम की मरमम्त नहीं की गई।
प्रमोद साहू, ग्रामीण

-इस बार हम विकास के मुद्दे पर मतदान करेंगे, सड़क और पानी की व्यवस्था तो लगभग सब जगह हो गई है। हम सब को अब देश के विकास के लिए मतदान करके योग्य जनप्रतिनिधि चुनना चाहिए। वैसे तो किसानों को सरकार से भरपूर मदद मिलती है। उपज भी अच्छी होने लगी है, लेकिन फिर भी कुछ किसान हमेशा ही परेशानी बताते रहते है। अधिकतर गांवों में सड़क और पानी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं पहुंच गई है, सरकार ने गरीबों की समस्या दूर की है।
राजू किरार, देहरी सेमरा

-मुझ पर ढाई लाख रूपए कर्ज है, जो हम उतार नहीं पा रहे है। हमारी अपेक्षा है कि सरकार कर्ज माफ कर दे। जो हमारा कर्ज माफ करेगा हम उसी को विधायक चुनेंगे। चुनाव के समय दावे वादे सब करते है, लेकिन हकीकत में वादे कम ही पूरे हो पाते है। बड़े किसान तो सब सुधार लेते है, लेकिन छोटा किसान कर्ज से नहीं उभर पाता है। इसलिए किसान को कर्ज मुक्त बनाने की जरूरत है। तभी वह आत्मनिर्भर बन सकेगा। मौसम की मार ने इस वर्ष सभी को नुकसान पहुंचाया है।
मथुराप्रसाद, चक्क सिहोद

-मंडी में हमारी फसलें कम कीमत में बिक रही हैं। हम महीनों मेहनत करने के बाद धान विदिशा मंडी में लेकर आए थे, यहां सिर्फ 28 सौ रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल में धान बिकी है। इतनी कम कीमत में हमारी लागत भी नहीं निकली। हम यही चाहते हैं कि किसानों को फसल की सही कीमत मिले और छोटे किसानों की कर्जमाफी हो। तभी वह कर्ज से उबर पाएगा। भ्रष्टाचारियों व दलालों का हर जगह बोलबाला है इस कारण गरीब व किसान डरा सहमा रहता है।
नीरज यादव, आलम खेड़ा

-हम चाहते है किसान को मदद मिले, गांवों में सड़क, नाली बने। किसानों सहित अन्य लोगों को भरपूर लाइट मिले। नेता 24 घंटे लाईट देने की बात करते है हमकों सिर्फ 6 घंटे लाइट मिलती है। इस कारण समय पर फसल नहीं उगा पाते है। मै 3 दिन पहले विदिशा मंडी में धान लेकर आया था जो 32 सौ रुपए बिकी थी। आज गुरूवार को 23 सौ रुपए बिकी। इस लिए सौदा निरस्त कराकर वापस ले जा रहा हूं। ऐसी असमानता क्यो, जब धान वही तो तीन दिन में कीमत में इतनी गिरावट का जिम्मेदार कौन है।
लाखन सिंह, खिरिया