अमूल डेयरी के इतिहास में पहली बार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान अमूल का अनुमानित कारोबार 12,880 करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो इसकी उत्कृष्टता की यात्रा में उल्लेखनीय है. इस खुशी के मौके को सबके साथ साझा करते हुए अमूल इस बार पशुपालकों को 525 करोड़ रुपये का बोनस देगा.गुणवत्ता, नवाचार और स्थिरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ, अमूल ने विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय परिणाम हासिल किए हैं, जो डेयरी उद्योग में अग्रणी के रूप में अपनी स्थिति को रेखांकित करता है. अमूल डेयरी के अध्यक्ष विपुलभाई पटेल ने निदेशक मंडल के साथी सदस्यों, डेयरी संघों के अध्यक्षों, सचिवों, सभा के सदस्यों, प्रबंध निदेशक और एसोसिएशन के अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया.
2023-24 में हुई रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि
आनंद अमूल डेयरी ने इस बार इतिहास रच दिया. 2022-23 की तुलना में 2023-24 में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि हुई है. साल 23-24 में अमूल का टर्नओवर 12,880 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वर्ष 23-24 में 9% की वृद्धि दर्ज की गई. दूसरी ओर, अमूल पशु बच्चों की स्थिति में सुधार लाने की दिशा में काम कर रहा है. विपुल पटेल ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अमूल तीन जिलों में पशु बछड़ों की स्थिति में सुधार के लिए काम कर रहा है. इतना ही नहीं, जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाले जानवरों पर भी शोध किया गया है. पशु आहार टीएमआर के सेवन से पशुपालकों को बेहतर उत्पादन मिलता है.
23-24 में अमूल डेयरी ने बेचा 173 करोड़ किलो दूध
विपुल पटेल के मुताबिक, अमूल डेयरी ने साल 23-24 में 173 करोड़ किलो दूध बेचा है. खटराज अमूल का केंद्र है, अमूल पनीर, पनीर, बटर, टेट्रा मिल्क बनाया जाता है. अमूल का आधुनिक प्लांट महाराष्ट्र के पुणे में स्थापित किया जाएगा. आंध्र प्रदेश के चित्तूर में एक आधुनिक प्लांट भी शुरू करेंगे.
क्या है अमूल के यात्रा की कहानी
अमूल मॉडल ने भारत को दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में उभरने में मदद की है. आज देश भर में 15 मिलियन से अधिक दूध उत्पादक अमूल की 144,500 डेयरी सहकारी समितियों को अपना दूध पहुंचाते हैं. उनका दूध 184 जिला सहकारी संघों में संसाधित किया जाता है और 22 राज्य विपणन संघों द्वारा विपणन किया जाता है. यह हर दिन लाखों लोगों तक दूध पहुंचाता है.
आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (AMUL) आनंद, गुजरात में स्थित एक डेयरी सहकारी समिति है. इसकी स्थापना वर्ष 1946 में हुई थी. अमूल ब्रांड गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) के अधीन है. जीसीएमएमएफ पर राज्य के लगभग 30 लाख दूध उत्पादकों का संयुक्त स्वामित्व है.