सुरेश चौधरी
भोपाल: कपास की फसल में हर वर्ष सफेद मक्खी से हानि होती है इसके नियंत्रण के लिये एकीकृत कीट प्रबंध बतायें – सफेद मक्खी का प्रकोप अनेकों फसल पर होता है कपास उनमें से एक है। कद्दूवर्गीय फसलों में इसके प्रकोप से वाईरस (मोजेक) आता है और बढ़ता है। कपास नकदी फसल है जिसमें इस कीट की रोकथाम के लिये एकीकृत कीटनाशी प्रबंधन बनाया गया है जो निम्नानुसार है।
- कपास की फसल के अवशेषों को खेत में मिलाकर खेत तैयार करें।
- मेढ़ों की साफ-सफाई करके खरपतवारों को नष्ट करें। विशेषकर लटजीरा नामक खरपतवार जिस पर यह मक्खी आश्रय लेती है।
- कपास की बुआई यथा संभव मई के आखिरी सप्ताह में ही कर दी जाना चाहिये।
- उर्वरकों की संतुलित मात्रा का उपयोग किया जाये साथ ही यूरिया के अनियंत्रित उपयोग पर रोक लगे।
- अतिरिक्त सिंचाई भी नहीं करें। केवल आवश्यकता होने पर सिंचाई की जाये।
- कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग पर भी रोक लगे ताकि मित्र कीट की सक्रियता बनी रहे।
- कम या अधिक मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाये। घोल का सांध्रता पर ध्यान रखा जाये।
- कीट आक्रमण की आर्थिक कगार के बाद इमीडाक्लोप्रिड 17.8 ई.सी की 40 मि.ली मात्रा 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव (प्रति एकड़) करें।