अलवर:- जिस तरह किसान पारंपरिक खेती से दूरी बनाकर आधुनिक खेती की तरफ जा रहे हैं. इसी तरह युवा वर्ग भी अब एग्रीकल्चर फील्ड में ही अपना भविष्य संवारने की खोज कर रहे हैं. युवा वर्ग अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद लाखों का पैकेज छोड़ जैविक खेती एवं आधुनिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इसके साथ ही कई ऐसी फसलों पर भी युवाओं का जोर है, जो उन्हें शुरुआती समय में ही कम लागत पर स्टेबिलिटी दे सके. अलवर जिले में भी कई युवा ऐसे हैं, जिन्होंने लाखों का पैकेज छोड़ एग्रीकल्चर फील्ड में काम शुरू किया और आज वो अच्छा काम कर रहे हैं.
उद्यान विभाग के उपनिदेशक के एल मीणा ने बताया कि आजकल देखा जा रहा है कि युवा भी अपने लाखों के पैकेज को छोड़कर खेती की ओर अपना भविष्य बना रहे हैं. कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस फील्ड में अच्छा नाम बनाया है, साथ ही और लोगों को भी इस फील्ड के बारे में समझा रहे हैं और उनके भविष्य को भी बेहतर बनाने में मदद कर रहे है.
नवयुवक को है टेक्नोलॉजी का ज्ञान
के एल मीणा ने आगे बताया कि आजकल नवयुवक टेक्नोलॉजी को समझने लगे हैं. इसके चलते वह पॉलीहाउस लगाकर अच्छी खेती कर सकते हैं और हाई वैल्यू की क्रॉप ले सकते हैं. आजकल जो किसान खेती करने का मन बना रहे हैं, वह डच रोज, कट फ्लावर, स्पेशल क्वालिटी के रोज की फसल कर सकते हैं. इन फसलों की मांग बाजार में काफी अच्छी है. साथ ही अभी अलवर जिले में ऐसी खेती ज्यादा नहीं हो रही है. लेकिन यदि किसान इसका रुख करें, तो वह अच्छा मुनाफा पा सकते हैं. अलवर जिले के किसान अभी खीरे, टमाटर, प्याज पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यदि नवयुवक किसान नई खेती को अपनाएं, तो उसमें ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इनकी भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अच्छी डिमांड है.
नवयुवक ने चुनी अलग राह, तो हुए सफल
अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ गांव के निवासी रघुराज ने 12 लाख का पैकेज छोड़कर अपने ही घर में ऑर्गेनिक खेती से सब्जियों को उगाना शुरू किया. आज वो खुद के साथ-साथ और लोगों को भी इस बारे में जानकारी देते हैं. इसके साथ-साथ ही रघुराज जैविक दवाईयां भी तैयार करते हैं. रघुराज कहते हैं कि जिस तरह मैंने कुछ अलग हटकर सोचा, इस तरह आजकल के युवा एग्रीकल्चर फील्ड में कुछ अलग हटकर सोच लें, तो वह अपने आयाम बना सकते हैं. हालांकि शुरुआत में थोड़ा टाइम लगेगा, लेकिन जल्द ही उन्हें सफलता भी मिलेगी.