ग्वार का 80 प्रतिशत उत्पादन भारत में:पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में

0
72

 ग्वार एक महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक फसल है. विश्व के कुल ग्वार उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत उत्पादन भारत में किया जाता है. देश में ग्वार की खेती जुलाई-अगस्त माह में होती है और अक्टूबर-नवम्बर में कटाई होती है. इससे ‘ग्वार गम’ यानी ग्वार से गोंद का निर्माण किया जाता है. इस ‘ग्वार गम’ का उपयोग अनेक उत्पादों में होता है. इसके अलावा इसका पशु चारे और कृषि क्षेत्र में हरी खाद फसल के रूप में भी उपयोग किया जाता है. फलीदार फसल होने के कारण ग्वार, नाइट्रोजन में सुधार लाकर मिट्टी उपजाऊ बनाता है जबकि पशुओं को ग्वार खिलाने से उनमें ताकत आती है और दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता में बढोतरी होती है. वही भारत में सैकड़ों वर्षों से ग्वार फली से स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है. इसमें कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं.

अगर देश में ग्वार उत्पादक राज्यों की बात करें तो राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ग्वार के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. ऐसे में अगर आप किसान एक हैं और भी इस खरीफ सीजन में ग्वार की खेती करने की सोच रहे हैं, तो आप शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स कंपनी द्वारा विकसित ग्वार बीज खरीद सकते हैं. यह कंपनी लगभग तीन दशक से अधिक समय से कृषि क्षेत्र में लगातार कार्यरत है. साथ ही इस कंपनी द्वारा विकसित ग्वार की उन्नत किस्म सालों से किसानों की पहली पसंद बने हुए हैं. ग्वार की इन किस्मों की खेती करके किसान शानदार मुनाफा कमा रहे हैं.

ग्वार की उन्नत किस्में

शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स कंपनी द्वारा ग्वार की 3 उन्नत किस्मों को विकसित किया गया है जिनमें X-6, X-10 (भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किस्म) और X-28 किस्में शामिल हैं. ऐसे में आइए शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स कंपनी द्वारा विकसित ग्वार की इन उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

X-6: ग्वार की उन्नत किस्म X-6 किसानों के बीच लोकप्रिय है. इस किस्म की खेती करने पर किसानों को कई फायदे मिलते हैं, जैसे- पौध में फलियां नीचे से लगती हैं. पौधा शाखायुक्त होता है यानी पौध में कई शाखाएं होती हैं. इसमें फलियां बड़ी एवं अधिक संख्या में लगती हैं. साथ ही प्रति फली दानों की संख्या भी अधिक होती है. वही दाना चमकदार होता है जबकि 1000 दानों का वजन 35 से 41 ग्राम होता है. ग्वार की उन्नत किस्म X-6 महज 85-100 दिनों में तैयार हो जाती है.

X-10: ग्वार की उन्नत किस्म X-10 भी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा भी कि ग्वार की इस उन्नत किस्म को खेती के लिए अधिसूचित किया गया है. इस किस्म की खेती करने पर भी किसानों को कई फायदे मिलते हैं, जैसे- पौधा फैलावदार और शाखायुक्त होता है यानी पौध में कई शाखाएं होती हैं. ग्वार की अन्य प्रचलित किस्मों की तुलना में अधिक पैदावार मिलता है. दानें चपटे एवं गोलाकार होते हैं. 1000 दानों का वजन लगभग 30 ग्राम होता है. ग्वार की उन्नत किस्म X-6 महज 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है. इसके अलावा यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट और जड़ गलन रोग प्रतिरोधी है यानी इसमें बैक्टीरियल ब्लाइट और जड़ गलन रोग नहीं लगता है जिन्हें ग्वार के लिए घातक रोग माना जाता है.

X-28: ग्वार की उन्नत किस्म X-28 भी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. इस किस्म की खेती करने पर भी किसानों को कई फायदे मिलते हैं, जैसे- पौधा फैलावदार होता है और उसमें अधिक शाखाएं होती हैं. दाने चपटे एवं गोलाकार होते हैं. गुच्छे में अधिक फलियां लगती हैं जोकि संख्या में अधिक होती हैं. एक फली में 8 से 9 बड़े दाने होते हैं. वही 1000 दानों का वजन लगभग 33 से 40 ग्राम होता है. इनमें ग्वार गम का प्रतिशत 28-30 होता है. जबकि इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा हाई पाया जाता है. ग्वार की उन्नत किस्म X-28 महज 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है. इसके अलावा यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट और जड़ गलन रोग प्रतिरोधी है यानी इसमें बैक्टीरियल ब्लाइट और जड़ गलन रोग नहीं लगता है जिन्हें ग्वार के लिए घातक रोग माना जाता है. इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस किस्म की कटाई कंबाइन व रीपर से आसानी से की जा सकती है.