अगर आप देर से गेहूं बो रहे हैं तो आपको कम अवधि वाली किस्मों के बारे में जरूर जानना चाहिए जो कम पानी में जल्दी तैयार होती हैं. दरअसल, धान की फसल देर से कटने से किसान गेहूं बुवाई में देरी से चल रहे हैं. वैसे तो अधिकांश किसानों ने गेहूं बुवाई का काम निपटा लिया है लेकिन कई किसान ऐसे भी होंगे जिन्होंने अब तक बुवाई नहीं की है. ऐसे किसान कम अवधि वाली पछेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं और कम पानी में अच्छी पैदावार ले सकते हैं.
आईसीएआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार कहते हैं कि अगर किसान पछेती किस्मों की बुवाई कर रहे हैं तो उन्हें उच्च तापमान रोधी किस्मो का चयन करना चाहिए. इन किस्मों में सही समय पर खाद और पानी दिया जाए तो ये फसलें बढ़िया उत्पादन देती हैं. इन किस्मों की खासियत है कि तीन सिंचाई में ही फसल तैयार हो जाती है. बस इस बात का ध्यान रखें कि आपके क्षेत्र में कौन सी किस्म बढ़िया उत्पादन देगी, उसे ही बोने की सलाह दी जाती है. आइए जान लें कि पछेती किस्में कौन सी हैं और उससे कितना उत्पादन ले सकते हैं.
- PBW 373- 110-115 दिन- 35-40 क्विंटल पैदावार
- HD 2985- 105-110 दिन- 40-42 क्विंटल
- DBW 14- 110-115- दिन 30-35 क्विंटल
- NW 1014- 110-115- दिन- 35-40 क्विंटल
- HD 2643- 105-110 दिन- 35-40 क्विंटल
- HP 1633- 105-110 दिन- 35-40 क्विंटल
इन पछेती किस्मों के बारे में आईसीएआर, पूर्वी अनुसंधान परिसर की धान विज्ञानी डॉ. शिवानी ने कहा कि नवंबर में पहले ठंड जल्दी आ जाती थी. अब ठंड देर से आती है. किसान अगर नवंबर के अंत तक भी गेहूं लगा लेते हैं तो ठीक है. पहले अक्टूबर से धान की बुवाई शुरू हो जाती थी और नवंबर के तीसरे सप्ताह तक 100 किलो प्रति हेक्टेयर बीज लगा सकते हैं. लेकिन देर से बुवाई कर रहे हैं तो 125 किलो बीज देना पड़ता है. खाद की जहां तक बात है तो पछेती किस्मों में 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, 40 किलो पोटास प्रति हेक्टेयर देने की सलाह दी जाती है.
पछेती किस्मों के बारे में एक्सपर्ट की राय
गेहूं की पछेती किस्मों के बारे में आईसीएआर, पटना के निदेशक डॉ. अनूप दास कहते हैं कि गेहूं के बंपर उत्पादन के लिए सही किस्मों का सही समय पर चयन बहुत जरूरी है. इसमें कोशिश करनी चाहिए कि जीरो टिलेज के जरिये बुवाई हो. ऐसा करने से कम खर्च में किसानों को ज्यादा आय मिलेगी. इससे मिट्टी की सेहत और पर्यावरण का संतुलन भी बना रहेगा.
सिंचाई की जहां तक बात है तो पेछेती किस्मों में पहली सिंचाई बुवाई से 20-25 दिनों पर, दूसरी सिंचाई जब गेहूं में कल्ले निकलने लगें यानी 40-45 दिनों पर. तीसरी सिंचाई 40-65 दिनों पर करनी चाहिए. गेहूं के लिए कम से कम तीन सिंचाई जरूरी है. लेकिन किसान फसल की दशा को देखते हुए चौथी सिंचाई 85-90 दिनों पर यानी जब गेहूं में फूल आने लगें, तब करनी चाहिए. पांचवीं सिंचाई 100-105 दिनों पर जब गेहूं के दाने दूधिया स्थिति में हों, तो पानी देने की सलाह दी जाती है.