नोएडा में 24 घंटे के अंदर लू और हीट स्ट्रोक से 14 की मौत 

0
14

दिल्ली से सटे नोएडा में अलग-अलग जगहों पर मंगलवार को 14 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. आशंका है कि ये सभी मौतें लू और हीट स्ट्रोक के कारण हुई हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही कारण बताने की बात कह रहा है. लेकिन इन मौतों ने प्रचंड गर्मी को लेकर लोगों में दहशत पैदा कर दी है.  दरअसल, पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी के कारण लू और हीट स्ट्रोक के मामलो में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है.

फिलहाल रिपोर्ट का इंतजार 

बात नोएडा की करें तो मंगलवार को अलग-अलग स्थानों पर 14 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में जान चली गई. कुछ मृतकों को पुलिस और कुछ को उनके परिजन मौत के बाद अस्पताल लेकर पहुंचे थे. इन मृतकों के शव पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इन सभी लोगों की मौत लू और हीट स्ट्रोक से हुई होगी. फिलहाल, शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद तस्वीर हो पाएगी. स्वास्थ्य विभाग मामले में नजर बनाए हुए हैं. इसको लेकर जिला अस्पताल की सीएमएस का बयान सामने आया है. 

पोस्‍टमार्टम के लिए गईं डेडबॉडीज 

मामले में नोएडा जिला अस्पताल की सीएमएस रेणु अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कल हमारे यहां 14 ब्रॉड डेड के मामले सामने आए थे. कुछ लोगों को पुलिस लेकर आई थी और कुछ लोगों को उनके परिजन लेकर आए थे. मौत का सही कारण पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल पायेगा.  सभी शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए हैं. मार्च के बाद से से ही दिल्ली और पास के रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है. उच्च तापमान के बीच, राष्‍ट्रीय राजधानी पानी की कमी और बढ़ती बिजली की खपत से भी जूझ रही है. मंगलवार को तो रात का न्यूनतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. यह पिछले छह सालों में जून में सबसे ज्‍यादा था.

 रात में रिकॉर्ड तापमान 

उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में कम से कम 10 स्थानों पर मंगलवार को तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया या उससे अधिक हो गया. इसमें उत्तर प्रदेश का उरई 46.4 डिग्री सेल्सियस के साथ देश का सबसे गर्म स्थान रहा. प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने न्‍यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘यह मुझे डरा रहा है. शहरों में न्यूनतम तापमान कम नहीं हो रहा है. लोगों को ठीक होने का मौका नहीं मिल रहा है जिसका मतलब है कि दिन के मुकाबले रात में अधिक मौतें हो रही है क्योंकि सामान्य तौर पर न्यूनतम तापमान गिर जाता है. आप अगले दिन काम पर वापस जाने के लिए ठीक हो जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है.’